vimal kumar
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साहित्य
लोकप्रिय साहित्य से परहेज क्यों?
पिछले दिनों हिन्दी की यशस्वी लेखिका शिवानी की 98 वीं जयंती पर उनकी विदुषी पुत्री एवम प्रतिष्ठित पत्रकार लेखिका मृणाल पांडेय ने इस बात की शिकायत की कि हिन्दी के आलोचकों ने शिवानी जी को यथोचित स्थान नहीं दिया।…
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चर्चा में
दो रुपये का लोकतन्त्र
क्या भारतीय लोकतन्त्र की कीमत मात्र दो रुपये हो गयी है? सुनने में यह बात बहुत अजीबो गरीब और अटपटी लगेगी लेकिन सच पूछा जाए तो आज हकीकत यही है। हालाँकि लोकतन्त्र को कभी खरीदा नहीं जा सकता है…
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