शिवदयाल
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देश
धर्म, राजनीति, लोकतन्त्र और राष्ट्र
भारत में सदियों से धर्म और राजनीति एक-दूसरे से गुत्थम-गुत्था रहे हैं। कम से कम उस समय से जबकि राजनीतिक विजय के पश्चात राजसत्ता के माध्यम से धर्मसत्ता स्थापित करने का भी अभियान चलाया गया यहाँ के मूल या…
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देश
भारतीय राष्ट्रवाद की भूमिका
भारत ही नहीं, पूरे विश्व में राष्ट्रीयताओं का मुद्दा बहुत जटिल हो गया है, बल्कि इसके अत्यन्त खतरनाक आयाम सामने आ रहे हैं। राष्ट्रवाद दो महायुद्धों का कारक रहा है- यह तथ्य भी दृष्टि से ओझल नहीं होना चाहिए,…
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मुद्दा
प्रव्रजन एक जरूरत
कोरोना अपने आप में एक भयानक विश्वव्यापी त्रासदी है। दुनिया भर में इससे जुड़े रोंगटे खड़े कर देनेवाले प्रसंग और घटनाएँ सामने आयीं। भारत में दिल्ली, मुंबई, अहमदाबाद, बेंगलुरु, सूरत, हैदराबाद आदि शहरों, रोजगार केन्द्रों से लाखों की संख्या…
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आवरण कथा
छद्म धर्मनिरपेक्षता और नागरिकता का सवाल
शिवदयाल बँटवारा उनसे पूछ कर नहीं किया गया था। बँटवारा कैसा और किसका, वे अब तक नहीं जान रहे थे, लेकिन एक सुबह उनका देश बदल गया था, नागरिकता बदल गयी थी। सिलहट और चटगांव से लेकर पेशावर…
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चर्चा में
वर्तमान भारत-पाक तनाव और आतंक के विरुद्ध भारत के आक्रामक रवैये के परिप्रेक्ष्य में विचारणीय बिंदु
शिवदयाल तथाकथित शांतिकाल में पिछले तीस सालों में पाकिस्तान हमारे हजारों नागरिकों और सुरक्षाकर्मियों (अनुमानतः अस्सी हजार से एक लाख!) की जान ले चुका है। वह निरंतरता के साथ भारत को तिल-तिल कर मारने की नीति पर अमल करता…
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