मज़ाक हो या चुटकुले उनके केंद्र में हमेशा कमजोर ही रहता है
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सामयिक
मज़ाक समझा है क्या !
हम मजाक को कभी भी गंभीरता से नहीं लेते, जानती हूँ आप कहेंगे कि मज़ाक तो मज़ाक होता है फिर मैं उलटी गंगा बहाने की बात क्यों कर रही हूँ! पर आप ये भी तो मानेंगें न कि मज़ाक-मज़ाक…
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