डॉ. अनिता पाटील
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साहित्य
भारत की भौगोलिक सीमा में ‘अंग्रेज़ी राज’ और भारतीय भाषा हिन्दी का प्रश्न
(संदर्भ : नागालैण्ड में एक दशक पूर्व हुई हिन्दी की गोष्ठी और हिन्दी चिंतन) भौगोलिक वैविध्य के साथ–साथ भाषाई वैविध्य भारत के लिए अभिशाप से कम नहीं है। राजनैतिक स्वार्थ सेप्रचारित–प्रसारित वैविध्य ने भारत को निरंतर खंडित करने…
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सामयिक
भूमंडलीकरण और सांस्कृतिक ग्राह्यता का प्रश्न: श्वेत एवं स्याह पक्ष
वर्तमान परिदृश्य (भूमंडलीकरण) में वैश्विक बाज़ार–व्यवस्था एवं सांस्कृतिक तादात्म्य के औचित्य–अनौचित्य के मुद्दे पर यदा–कदा यथाप्रसंग चर्चा–परिचर्चा होती रहती है। यदि यह कहा जाए कि वैश्विक बाज़ार–व्यवस्था ने भारत के समाजार्थिक एवं सांस्कृतिक पहलुओं को बहुत हद तक प्रभावित…
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