जदुनाथ टुडू का ‘लो बीर’
-
क्रन्तिनामा
हूल का साहित्यिक परिदृश्य
30 जून 1855 ई. का वह दिन, जिसके बाद न संताल परगना का, न झारखण्ड और न देश का इतिहास वैसा रहा जैसा उससे पहले था। महाजनों और अंग्रेजों के शोषण से उपजी इतिहास के गर्भ की छटपटाहट हूल…
Read More »