छोटानागपुर अंचल की तुलना में संताल परगना
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समाज
संताली गीतों में हूल की विरासत
हूल वह स्थाई सन्दर्भ है जो संतालों के जीवन और उनके गीतों में मौजूद दिखाई पड़ता है। यह स्वाभाविक भी है क्योंकि हूल से पहले संताल समुदाय अपने शांति-सौहार्द्रपूर्ण जीवन पद्धति की वजह से शोषकों के सामने निरीह बना…
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क्रन्तिनामा
हूल का साहित्यिक परिदृश्य
30 जून 1855 ई. का वह दिन, जिसके बाद न संताल परगना का, न झारखण्ड और न देश का इतिहास वैसा रहा जैसा उससे पहले था। महाजनों और अंग्रेजों के शोषण से उपजी इतिहास के गर्भ की छटपटाहट हूल…
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