कैलाश वानखेड़े की कहानी संग्रह ‘सुलगन’
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पुस्तक-समीक्षा
21वीं सदी के भारतीय लोकतन्त्र में पहचान की राजनीति की पड़ताल ‘सुलगन’
संविधान लागू हुए बहत्तर साल होने को है। सकारात्मक विभेद (positive discrimination) के जरिए मुख्यधारा के वंचित समाज और आदिवासियों के सामाजिक अधिकार को सुनिश्चित करने का वादा अबतक जुमला ही साबित हुआ है। दलितों और आदिवासियों पर जुल्म…
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