यात्रा

खूबसूरत बर्फ़ से ढके वादियों का सबसे ऊंचा ट्रेक है केदारकांठा

 

धरती पर स्वर्ग कहूं या स्वर्ग में धरती ऐसा ही है भारत के प्राकृति के आँचल में बसा उत्तराखण्ड। उत्तराखण्ड को लोग देवभूमि के नाम से भी जानते हैं। उत्तराखण्ड में केवल हरिद्वार, ऋषिकेश, गंगोत्री, यमुनोत्री केदरनाथ, बद्रीनाथ ही नहीं है। घूमने के लिये उत्तराखण्ड में काफी कुछ है। देखने के लिए एडवेंचर और ट्रेकिंग का शौक रखने वालों के लिए भी बेस्ट है उत्तराखण्ड। अगर हम भारत के एक-एक कोने को भी घूमना चाहें तो भी हमारी पूरी जिन्दगी निकल जाएगी पर हम भारत में बसी खूबसूरती को अपनी पूरी जिन्दगी में भी नहीं देख पाएंगे। ऐसे में ही उत्तराखण्ड के उत्तरकाशी के ट्रेक केदारकांठा ट्रेक के बारे में बात करेंगे।

केदारकांठा ट्रेक उत्तराखण्ड में ही नही भारत के सुंदरतम ट्रेक में से एक है। साल के बारह महीने और पहली बार ट्रैक करने वाले लोगों के लिए भी आसान होना इसे इस श्रेणी में लाता है। ट्रेक के लिए बेस कैम्प तक पहुंचना भी सरल ही है। 24 किलोमीटर के इस ट्रेक को लोग अपनी सहूलियत के हिसाब से 2 से 4 दिन में करते हैं। ज्यादा दिन की उपलब्धता वालों के लिये बेस कैम्प सांकरी से ही हर की दून का भी रास्ता निकलता है अर्थात आप यहाँ पर 7 से 8 दिन या उससे भी ज्यादा चाहें तो आराम से बिता सकते हैं। प्रकृति की गोद में कुछ समय बिताने वाले हों अथवा बर्फ को देखने की इच्छा रखने वाले, सभी के लिए ये ट्रैक आदर्श है।

पीक यानि चोटी पर जाने के बाद मौसम साफ हो तो हिमालय की धौलाधार रेंज, रूपिन घाटी, हर ​की दून घाटी और चारो ओर का यानि 360 डिग्री व्यू दिखाई देता है। इससे सुंदर चीज और क्या हो सकती है किसी भी पर्यटक या घुमक्कड़ी का शौक रखने वाले के लिए। गर्मियों में भी यहाँ पर जून तक बर्फ देखने को मिल जाती है तो बरसात में जंगलों के बीच छोटे बुग्याल आंखों को सू​कून देते हैं। पहली ही बार में 3800 मीटर की चोटी को फतह करना भी अपने आप में एक रोमांच भरा होता है। इस ट्रेक को स्नो ट्रैक के रूप में बहुत ख्याति मिल रही है क्योंकि यहाँ पर सर्दियो में भी जाना संभव है और इतनी बर्फ में ट्रेक करना हर जगह संभव नही होता। इस ट्रेक की एक खूबी और है वो हैं इसके पड़ाव। जुड़ा का तालाब जो कि एक छोटा सा पानी रूकने का स्थान है सर्दियो में उसे जमा हुआ देखना अलग ही रोमांच पैदा करता है वहीं बेस कैम्प भी बहुत ही सुंदर जगह पर है जो सर्दियो में सफेद तो बाकी समय हरे रंग से भरपूर रहता है।

उत्तराखण्ड हिमालय रेंज का सबसे ऊंचा ट्रेक है। केदारकांठा केदारकंठ के आसपास की खूबसूरत बर्फ़ से ढके वादियों देवदार के पेड़ों के साथ-साथ आप यहाँ सूर्योदय और सूर्यास्त होते हुए भी देख सकते हैं। उत्तराखण्ड के हिमालय रेंज केदारकंठ लोकप्रिय विंटर ट्रैक है जिसे आप विंटर ट्रैक्स की रानी भी बोल सकते हैं। सर्दियों में घुटने तक गहरी बर्फ, आसपास की बर्फ़ की चादर लपेटें देवदार के वृक्षों की वादियों का मनमोहक दृश्य और आसान रास्ते इसे ट्रैकर्स के बीच बेहद लोकप्रिय बनाते हैं। केदारकंठ ट्रेक गोविंद नेशनल पार्क से शुरू होता है। केदारकंठ ट्रेक में आपको बर्फ से ढके रास्ते, आकर्षक गांव, सुगंधित देवदार के जंगल, आसमान छूटी चोटियां, शांत नदियां देखने को मिलेंगी।

केदारकंठ की पौराणिक कहानी

स्थानीय लोगों और ट्रेक गाइड से बातचीत करने पर जाना कि केदारकंठ को ही केदारनाथ का स्थल माना जाता था। केदारकंठ को बाल-केदार के नाम से भी जाना जाता है और स्थानीय लोगों द्वारा ऐसा कहा जाता है कि जब शिव अपने बैल अवतार में केदारकंठ में पांडवों से छिपने के लिए भटक रहे थे, तो स्थानीय निवासियों ने उनकी शांति भंग कर दी। जिस वजह से वो केदारनाथ की ओर चले गए थे। स्थानीय लोग दूसरी कहानी महाभारत से जुड़ी हुई बताते हैं कि जब महाभारत युद्ध के बाद युद्ध में हुई हत्या से पांडव प्राश्चित करने और मोक्ष पाने के लिए त्रिदेव की तपस्या के लिए हिमालय में निकले तब शिव की खोज में केदारकांठा पहुंचे लेकिन शिव जी उन्हें मोक्ष नहीं देना चाहते थे। इस कारण शिव ने नंदी बैल का रूप धारण कर लिया ताकि वो उन्हें पहचान न पाए। इसके साथ ही सांकरी के ग्रामीणों का ऐसा कहना कि केदारकंठ में स्थापित भगवान शिव का त्रिशूल उनकी रक्षा करता है और हिमालय की नदियों को सूखने नहीं देता।

केदारकांठा ट्रेक कहाँ से शुरू होता है

केदारकांठा ट्रेक की शुरूआत सांकरी गांव से होती है जो की ट्रेक का बेस विलेज है। आप देहरादून से सांकरी तक गाड़ी या बस के द्वारा पहुंच सकते हैं। यह ट्रेक चार दिन का है आप इसे सामान्यत: चार दिन में पूरा कर सकते हैं वैसे तो इसे कई रूट से पूरा किया जाता लेकिन सबसे सही और अच्छा रूट सांकरी से होते हुए केदरकंठा टॉप तक जाता है।

सांकरी से जुड़ा का तालाब

ट्रेक के पहले दिन की शुरुआत होती है खूबसूरत गांव सांकरी से जो आपको प्रकृति के खुबसूरत दृश्य दिखाती है। घने जंगलों से शुरू हुई यह यात्रा धीरे-धीरे ऊंचाई की बर्फ से ढ़की हरियाली की और ले चलती है। यह ट्रेक गोबिंद पशु नेशनल पार्क में 13km अंदर शुरु होता है। यहाँ से आपको जुड़ा के तालाब तक का सफर करना होता है जो की लगभग 3-4 घंटे में पूरा हो जाता है साथ में कल-कल बहती नदी की आवाज आपके कानो में गूंजती है। जुड़ा का तालाब तक आपका पहला कैंपिंग प्लेस है, यह तालाब सर्दी में पूरी तरह से बर्फ से जम जाती है।

जुड़ा का तालाब से केदारकांठा बेस कैंप

ट्रेक के दूसरे दिन की शुरुआत ठंडी-ठंडी हवा के साथ होती है। सुबह का सूर्योदय देखना आँखों के लिये काफी सकून भरा होता है। दूसरे दिन का सफर आपका जुड़ा के तालाब से शुरू होकर केदारकांठा बेस तक जाता है। जो देवदार के घने जंगल से गुजरते हुए रास्ते ऊँचे-ऊँचे बर्फ़ से ढँके पहाड़ों के दृश्य आपको आगे बढ़ने की प्रेरणा देता है। केदारकांठा बेस कैंप पहुंच कर आप गंगोत्री और यमुनोत्री पर्वत श्रृंखला का नज़ारा देख सकते हैं, इसके साथ ही आप स्वर्गरोहिणी पीक और नाग टिब्बा चोटियों को भी देख सकते हैं।

केदारकांठा बेस कैंप से केदारकांठा टॉप

आपके तीसरे दिन के ट्रेक की शुरुआत केदारकांठा बेस कैंप से केदारकांठा पीक तक की है जो की 12500 फीट की ऊंचाई पर है। तीसरे दिन का ट्रैक थोड़ा और दिन के मुकाबले मुश्किल है। बेस से पीक तक का रास्ता घने जंगलों से होते हुए गुजरता है। केदारकांठा पीक पर पहुंचने के बाद चोटी से सूर्योदय और सूर्यास्त देखने का एक अलग आनंद है, जो की आपको कहीं और नहीं मिलेगा। यहाँ से पीक का 360 डिग्री व्यू आपको मंत्रमुग्ध कर देगा ।यहाँ पर भगवान शिव का आधा बना हुआ मंदिर भी है साथ में गणेश का भी एक मंदिर है।

केदारकांठा बेस कैंप से वापस सांकरी

चौथे दिन की ट्रेक वापस केदारकांठा बेस से नीचे सांकरी का है जो कि ऊपर आने के मुकाबले काफी आसान है

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सुचित्रा अग्रहरी

लेखिका माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय से एमबीए हैं और स्वतन्त्र लेखन करती हैं। सम्पर्क agrahari.suchitra11@gmail.com
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