सुरेश कुमार
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Aug- 2022 -12 Augustसामयिक
दलित आत्मकथाओं के आईने में आजादी
वास्तव में देखा जाए तो साहित्य की निर्मिति हमारी सामाजिक, राजनीतिक, सांस्कृतिक, धार्मिक, ऐतिहासिक और सामूहिक अस्मिताओं के रचनात्मक पहलू के साथ मुल्क की गतिविधियों और परिस्थितियों का आख्यान होता है। जब लेखक रचनात्मक परियोजना के अंतर्गत अनुभव और…
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Feb- 2020 -17 Februaryशख्सियत
अम्बेडकर की पत्रकारिता
दलित पत्रकारिता का इतिहास उतना ही पुराना है जितना स्वामी अछूतानंद हरिहर और डॉ. भीमराव का जीवन। इसमें दो राय नहीं है कि बाबा साहेब डॉ. अम्बेडकर और स्वामी अछूतानंद ‘हरिहर’ ने बीसवी सदीं के दूसरे दशक में दलित…
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