मृत्युंजय श्रीवास्तव
-
Oct- 2020 -10 Octoberजूम इन
थाली के चट्टे बट्टे
पहले थैली के चट्टे बट्टे होते थे। अब थाली के। थैली का जमाना जो लद गया। लद गया जो जमाना वह लद्दूओं का था। लद्दूओं की थाली में छेद ही छेद होते थे, जिससे पतली दाल बह जाया करती…
Read More » -
2 Octoberजूम इन
निडरता का नजारा
दीपिका पादुकोण बैडमिंटन की खिलाड़ी रह चुकी हैं। उछल उछल कर मारने का अभ्यास उन्हें होगा। लम्बी भी हैं। टांगें दुरुस्त और मजबूत भी। उछलना और हिट करना, एक अजब तरह का आकर्षण पैदा करता है। देखने वाले रीझ…
Read More » -
Sep- 2020 -25 Septemberजूम इन
बॉलीवुड महामारी की थाली है
बुरा वक्त है। बुरा वक्त आता है तो एक जगह नहीं टिकता। वह चपेट में लेता है। एक के बाद एक। सुशान्त का जो बुरा समय आया, फैलता गया। सुशान्त का जो बुरा समय आया तो रिया का बुरा…
Read More » -
21 Septemberजूम इन
जया जी! खूब एंटरटेन किया आपने
फिल्म वाले जो भी होते हैं, मजाकिया होते हैं। बड़े जतन से मजाकिया बनते हैं। जब बोलते हैं मजाकिया अंदाज में बोलते हैं। जहाँ भी बुलाए जाते हैं, मजाकिया होने के नाते बुलाए जाते हैं। जहाँ जाते हैं, वहाँ…
Read More » -
12 Septemberजूम इन
बम बहादुरों की बमबारी
इतनी समझदारी की उम्मीद करना बेवकूफी है कि किसी बेवकूफ को याद रहे कि वह बेवकूफ है। एक बेवकूफ जब भूलता है कि वह बेवकूफ है तब ही वह बेवकूफ होता है। मेरा साबका ऐसे एक बेवकूफ से हुआ…
Read More » -
8 Septemberजूम इन
शुद्ध देसी रोमांस : स्त्री परिवर्तन की कहानी
यह फिल्म दो हजार तेरह में बनी थी। आदित्य चोपड़ा की कम्पनी ने यह फिल्म बनाई थी। निर्देशक हैं मनीष शर्मा। इसके पहले भी उन्होंने कई फिल्मों का निर्देशन किया है। ‘वेडिंग प्लानर’ बनाई थी दो हजार दस में।…
Read More » -
Aug- 2020 -28 Augustजूम इन
सुशांत और न्याय की सरकार
हे नुक्ताचीनियो! क्या तुम बोध बेचे हुए बंदर हो? अगर तुम भक्त होते तो हम तुम्हें सम्मान से हनुमान कहते। बंदर हनुमान कहलाने का अधिकारी तभी होता है, जब वह दीक्षित होता है। चूंकि तुम विवेक बंधक बंदर हो…
Read More » -
21 Augustजूम इन
तेरा क्या होगा कालिया? कालिया नहीं, आलिया कहिए जनाब
सुशांत की मौत सपने की मौत है। सपने की मौत होती है तो दर्द गहरा होता है। गहरी पीड़ा से सारा हिंदुस्तान कराह रहा है। कराहता हुआ हिंदुस्तान न्याय माँग रहा है। न्याय है जो नाच रहा है। कहना…
Read More » -
14 Augustजूम इन
सुशांत एक और सवाल अनेक
जनता जी नमस्कार। आपसे मुखातिब हूँ। आपको याद दिलाना है। याद दिलाना है कि आप चाबी से चलते हैं। आपके इमोशन की चाबी बनी है। बनाई है टीवी वालों ने। सभी चैनलों के पास है। आप मायूस मत होइए…
Read More » -
7 Augustचर्चा में
सुशांत और सरकारें
अनेक की आत्मा को ठंडक पहुँची है। जिद जीतने का अहसास हुआ है। जो होता है वही होता है ऐसा हमेशा कहां होता है ! होता है वह जो होता है, मगर दिखता हुआ कुछ और होता है। फिलहाल…
Read More »








