शख्सियत

कलाकार दिवस: पाब्लो पिकासो को समरण करने  का दिन 

 

हर वर्ष, 25 अक्टूबर को, दुनिया भर में कला प्रेमियों और कलाकारों के बीच पाब्लो पिकासो के जन्मदिन को एक विशिष्ट सम्मान के साथ मनाया जाता है। इस दिन को ‘कलाकार दिवस’ के रूप में मनाया जाना पिकासो की उस विशाल और अविस्मरणीय छाप का प्रतीक है, जो उन्होंने न केवल कला की दुनिया पर, बल्कि पूरे मानव समाज पर छोड़ी है। उनकी कला ने पारम्परिक सीमाओं को तोड़ा और नई ऊंचाइयों को छुआ, जिससे आज भी दुनिया प्रेरणा ले रही है।

पाब्लो पिकासो: कला का एक युग

पाब्लो पिकासो का जन्म 25 अक्टूबर, 1881 को स्पेन के मलागा शहर में हुआ था। बचपन से ही उनके अंदर कला के प्रति अद्वितीय लगाव दिखने लगा था। उनके पिता एक कला शिक्षक थे, जिनसे पिकासो ने शुरुआती कला ज्ञान प्राप्त किया। पिकासो की कला यात्रा का सफर शुरुआती दिनों से ही असाधारण था। उन्होंने पारम्परिक पद्धतियों को तोड़ते हुए कला में नई दिशाएं खोजीं और कुबिज्म (Cubism) जैसी नई कला शैली का आविष्कार किया, जिसने चित्रकला के इतिहास में क्रांति ला दी।

पिकासो की कला के विभिन्न चरण उनके जीवन के अनुभवों और उनकी अनंत रचनात्मकता का प्रतीक थे। उन्होंने कला को केवल चित्रण का साधन नहीं, बल्कि भावनाओं और विचारों को व्यक्त करने का एक माध्यम माना। उनके प्रसिद्ध चित्रों में “गुएर्निका” और “द वीपिंग वुमन” ऐसे उदाहरण हैं, जो युद्ध की भयावहता और मानवीय पीड़ा को सजीव रूप में प्रस्तुत करते हैं।

कलाकार दिवस का महत्व

पाब्लो पिकासो के जन्मदिन को ‘कलाकार दिवस’ के रूप में मनाने का उद्देश्य न केवल उनके योगदान का सम्मान करना है, बल्कि सभी कलाकारों की रचनात्मकता और अभिव्यक्ति की स्वतन्त्रता को भी महत्व देना है। पिकासो का जीवन और उनका कार्य हमें यह सिखाता है कि कला केवल सौंदर्य की अनुभूति ही नहीं, बल्कि समाज और संस्कृति के गहरे पहलुओं को उजागर करने का सशक्त माध्यम भी हो सकती है।

कलाकार दिवस उन सभी व्यक्तियों के लिए एक प्रेरणास्रोत है, जो अपने अंदर छिपी रचनात्मकता को पहचानते हैं और उसे दुनिया के सामने लाना चाहते हैं। पिकासो ने यह दिखाया कि एक कलाकार की दृष्टि, उसकी अभिव्यक्ति और उसका साहस एक ऐसा परिवर्तन ला सकता है, जो समाज के विभिन्न पहलुओं को नई दिशा दे सकता है।

पिकासो की विरासत

पिकासो की कला ने जिस तरह से परम्परागत नियमों को चुनौती दी, उसी प्रकार आज के कलाकार भी नई-नई शैलियों और विचारों के माध्यम से अपनी अभिव्यक्ति को प्रस्तुत कर रहे हैं। पिकासो ने हमें यह सिखाया कि कलाकार की कोई सीमा नहीं होती—न विचारों में, न रचनाओं में। उनके द्वारा स्थापित कला की स्वतन्त्रता आज भी जीवंत है और भविष्य में भी कलाकारों को दिशा प्रदान करती रहेगी।

पिकासो की कला ने सामाजिक और राजनीतिक मुद्दों पर गहरी छाप छोड़ी है, जो हमें याद दिलाती है कि कला केवल आनंद या मनोरंजन का साधन नहीं है, बल्कि यह एक सशक्त सामाजिक संदेश देने का माध्यम भी हो सकती है। उन्होंने अपने जीवन में जितने भी प्रयोग किए, उन सभी में एक चीज समान थी—असीम रचनात्मकता और गहरी संवेदनशीलता। यही कारण है कि आज भी उनकी कला में उतनी ही ताजगी और नवीनता है, जितनी उनके जीवनकाल में थी।

निष्कर्ष

कलाकार दिवस पाब्लो पिकासो जैसे महान कलाकारों के योगदान को श्रद्धांजलि देने का दिन है। यह हमें याद दिलाता है कि कला एक शक्तिशाली साधन है, जो दुनिया को बदलने की क्षमता रखती है। पिकासो की विरासत हमें प्रेरित करती है कि हम भी अपनी कला और रचनात्मकता के माध्यम से समाज और संस्कृति में सकारात्मक परिवर्तन लाने की कोशिश करें। उनकी जन्मतिथि को मनाकर, हम न केवल उनके महान योगदान को स्वीकार करते हैं, बल्कि भविष्य के कलाकारों को प्रेरणा भी देते हैं कि वे अपनी अनोखी दृष्टि और सृजनशीलता के माध्यम से दुनिया में नई संभावनाओं का निर्माण करें।

इस विशेष दिन पर, हम सभी को चाहिए कि हम अपनी कला के प्रति प्रेम और समर्पण को और भी गहराई से समझें, और पिकासो की तरह, दुनिया को एक नई दृष्टि से देखें

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कैलाश केशरी

लेखक स्वतन्त्र टिप्पणीकार हैं। सम्पर्क +919470105764, kailashkeshridumka@gmail.com
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