sudhir pachouri

  • शख्सियत

    जहाँ पर हम रुके वहाँ से तुम चलो

      साहित्य की दुनिया से शुरुआती परिचय के दिनों से ही समकालीन हिन्दी आलोचना में नामवर जी की केन्द्रीय भूमिका से परिचित हो चली थी। अनौपचारिक चर्चाओं में भी शोधार्थी और साहित्य सेवी अपनी बात में वजन बढ़ाने के लिए…

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