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सामयिक
मोहन राकेश की ‘सावित्री’ और समकालीन स्त्री विमर्श
भारतीय समाज की कल्पना स्त्री और पुरूष की स्थापना के साथ ही होता है, जहाँ पितृसत्ता का वर्चस्व प्रारम्भ से अब तक बना रहा है। पुरूषों की पितृसत्तात्मक सोच आज भी कई मामलों में वैसी ही दिखाई पड़ती है…
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