prahant bhushan
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चर्चा में
प्रशान्त भूषण और न्याय-पालिका
देश की राजनीतिक संस्कृति में संवाद के मंच घटते जा रहे हैं। सहमति के दायरे सिकुड़ रहे हैं। सहयोग के आधार कमजोर हो रहे हैं। सामूहिक हस्तक्षेप उर्फ़ जन-आन्दोलनों का आकर्षण घट रहा है। समाज की राजनीति और अर्थनीति…
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