nagarjun
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साहित्य
जिन्दगी भर रहूँ, प्रवासी ही कहेंगे हाय
हिन्दी में हमारी पीढ़ी के आसपास तक शायद ही कोई साहित्य अनुरागी हो जिसके पास नागार्जुन और त्रिलोचन के कुछ न कुछ संस्मरण न हों। हमारे साथ यह एक सुखद संयोग था कि इन दोनों किंवदंतियों से जेएनयू में…
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