Amitabh Bachchan
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सिनेमा
कला और कहानी के कसौटी पर गुलाबो-सिताबो
साहित्य एवं कला विमर्श के क्षेत्र में एक प्रचलित वाद है- कलावाद। जोकि यूरोप से चला और फ्रेंच भाषा में इसका नारा बना- “ल’ आर पूर ल’ आर” यानी “कला कला के लिए”। सामान्य शब्दों में कहें तो एक…
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स्तम्भ
जन्मदिन विशेष : ‘बस एक बार मेरा कहा मान लीजिए’…
sablog.in डेस्क – वो बॉलीवुड के लिए आज भी बिंदास हैं, क्योंकि वो आज भी उतनी ही हसीन और जवान हैं जितनी आज से तीस साल पहले थीं। जी हां, बात हो रही है बॉलीवुड की उमराव जान की, जिनकी…
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