amit kumar singh
-
सिनेमा
कला और कहानी के कसौटी पर गुलाबो-सिताबो
साहित्य एवं कला विमर्श के क्षेत्र में एक प्रचलित वाद है- कलावाद। जोकि यूरोप से चला और फ्रेंच भाषा में इसका नारा बना- “ल’ आर पूर ल’ आर” यानी “कला कला के लिए”। सामान्य शब्दों में कहें तो एक…
Read More » -
समाज
‘जीवन में स्पंदन का मंत्र : चटाक-चट-धा!’
फनीश्वरनाथ रेणु की लोक-यथार्थ में पगी कहानियों में से एक कालजयी कहानी है – “पहलवान की ढोलक”| आज़ादी के पहले के बिहार प्रान्त की पृष्ठभूमि में रची गयी इस कहानी में हैजा और मलेरिया के महामारी से जूझते एक…
Read More »