क्षमा बिंदु
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हाँ और ना के बीच
जिन्दगी का आस्वाद अपने प्याले से
जब सोनिया ने हमारी मित्र-मंडली को ज्वाइन किया, हम मंडी हाउस के एक चबूतरे पर छोटे-छोटे गिलासों से बिना छलकाए चाय पीने की कोशिश करते हुए गुजरात की क्षमा बिंदु के ‘स्व-विवाह’ पर अपनी-अपनी राय झोंक रहे थे। हाय-हैलो…
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सामयिक
धागा प्रेम का टूटे जो, गठबन्धन करवाएं! उड़ने को तरसा करे, जो बन्धन में बन्ध जाये!!
समाज में प्रेम-सम्बन्ध टूटा ही करते हैं तब वैवाहिक गठबन्धन और भी लाजिमी हो जाता है चूँकि प्रेमी मन उन्मुक्त आकाश में विचरण करना चाहता है अत: उसे विवाह द्वारा सामाजिक बन्धन में बाँध दिया जाता है स्पष्ट है…
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