कृष्ण बलदेव
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तीसरी घंटी
दलित रंगमंच का आदर्श वर्णवादी-व्यवस्था नहीं
भरतमुनि के नाट्यशास्त्र मे कहा गया है कि प्रेक्षागृह में यदि चारों वर्ण मसलन ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य एवं शूद्र उपस्थित न हों तो नाट्य की प्राथमिक शर्त पूरी नहीं होगी। नाटक में वर्णवादी व्यवस्था के इस स्वरुप को हिन्दी…
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