देश के दो राज्यों के चुनाव बाद सर्वेक्षण में भले ही कांग्रेस को हार की संभावना के समीप रखा गया है, लेकिन कांग्रेस मुख्यालय पर कार्यकर्ताओं का जो जोश दिखाई दिया, उससे यह तो कहा जा सकता है कि कांग्रेस कार्यकर्ता चुनाव बाद के सर्वेक्षणों से मायूस नहीं हैं। कांग्रेस के केन्द्रीय मुख्यालय में कार्यकर्ताओं का जोश देखने लायक था। ऐसे ही वातावरण में कांग्रेस के राहुल गांधी की ताजपोशी हो गई। खास बात यह थी कि इस दौरान राहुल गांधी के परिवार के सभी सदस्य मौजूद रहे। सभी नेताओं ने राहुल गांधी के नेतृत्व पर मुहर लगाई और शुभकामनाएं भी दीं।
कांग्रेस में पूर्व निर्धारित संभावनाओं पर अब मुहर लग गई है। जिसके अनुसार एकाएक राष्ट्रीय राजनीति में पदार्पित हुए विरासती नेता राहुल गांधी को कांग्रेस का नया मुखिया चुन लिया गया है। हालांकि इस बात की संभावना पहले से ही थी कि आगामी दिनों में राहुल गांधी ही कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष बनेंगे। इसलिए इसे कांग्रेस के लिए नवीन अध्याय कहना तर्कसंगत नहीं होगा, क्योंकि जबसे राहुल गांधी कांग्रेस के उपाध्यक्ष बने थे, तभी से कांग्रेस में केवल राहुल की ही चल रही थी। सारे निर्णय राहुल गांधी के संकेत पर ही होते थे। अभी हाल ही में मणिशंकर अय्यर को नीच शब्द के प्रयोग करने पर राहुल गांधी ने ही पार्टी ने निकाला था। इसलिए यह आसानी से कहा जा सकता है कि राहुल भले ही पहले कांग्रेस प्रमुख के पद पर नहीं थे, लेकिन वह प्रमुख जैसे ही थे।
शनिवार से कांग्रेस के भीतर राहुल राज का प्रारंभ हो गया है, इसलिए कांग्रेस में ऐसी संभावनाओं को काफी बल मिलने लगा है कि राहुल राज में कांग्रेस का विकास हो सकेगा। राहुल गांधी की मां सोनिया गांधी के खराब स्वास्थ्य के चलते कांग्रेस में नेतृत्व परिवर्तन की मांग धीमे स्वर में उठने लगी थी। इन स्वरों के बाद राहुल गांधी को अध्यक्ष पद के लिए तैयार किया गया। देश के सबसे पुराने राजनीतिक दल में आज एक नए युग की शुरूआत हो गई है सोनिया गांधी के बाद अब कांग्रेस राहुल राज में आगे बढ़ेगी। राहुल गांधी को कांग्रेस अध्यक्ष का पद भले ही आसानी से मिल गया हो, लेकिन भविष्य की राह आसान नहीं कही जा सकती। क्योंकि कांग्रेस की वर्तमान स्थिति का अध्ययन किया जाए तो यह दिखाई देता है कि आज कांग्रेस लोकसभा में तो कमजोर है ही साथ ही कई राज्यों में सत्ता विहीन है। ऐसे में कहा जा सकता है कि आगामी समय में राहुल के समक्ष बहुत बड़ी चुनौतियां खड़ी होने को बेताब हैं। राहुल इन राजनीतिक चुनौतियों का सामना कैसे और किस प्रकार से करेंगे?
राहुल गांधी के पिछले राजनीतिक प्रदर्शन का विश्लेषण करेंगे तो यही परिलक्षित होता है कि पिछला समय राहुल गांधी के लिए किसी भी प्रकार से सकारात्मक नहीं रहा। उनके नेतृत्व में कांग्रेस सिमटती ही गई, जिसके फिलहाल उबरने के संकेत भी नहीं दिख रहे। हां, यह जरुर कहा जा सकता है कि राहुल गांधी के सामने आने से पार्टी के निराश कार्यकर्ताओं में एक नई आशा का संचार होगा, जिसकी कांग्रेस को लम्बे समय से आवश्यकता भी थी। राहुल के लिए शनिवार का दिन जितना बड़ा है उसे और विशाल बनाने के लिए पार्टी कार्यकर्ताओं ने भरपूर तैयारियां की हैं। 47 साल के राहुल 132 साल पुरानी कांग्रेस पार्टी के 49वें अध्यक्ष के रूप में जिम्मेदारी संभालने को तैयार हो गए हैं। कांग्रेस कार्यालय नई दिल्ली में राहुल गांधी की ताजपोशी की जा रही थी, उस समय कांग्रेस के कार्यकर्ताओं का मनोबल और चेहरे की भवभंगिमा ऐसा प्रदर्शित कर रही थीं कि राहुल गांधी कांग्रेस अध्यक्ष नहीं, बल्कि देश की सत्ता संभालने जा रहे हों। कार्यकर्ताओं का यह जोश आगामी लोकसभा चुनाव के समय तक जारी रहा तो कांग्रेस के लिए उत्थान की राह का निर्माण कर सकते हैं। राहुल गांधी ने देश के तमाम चुनावों में प्रमुख प्रचारक की भूमिका का निर्वाह भी किया है, इसलिए अब राहुल गांधी को अपरिपक्व कहा जाए, यह ठीक नहीं है। उन्हें अब राजनीति का लम्बा अनुभव भी है। पिछले चुनावों की तुलना में गुजरात विधानसभा के प्रचार में भी राहुल गांधी एक नई भूमिका में दिखाई दिए। चुनाव प्रचार के दौरान ही कांग्रेस कांटे की लड़ाई की भूमिका में आती हुई दिखाई दी।
विरासती पृष्ठभूमि के आधार पर राजनेता बने राहुल गांधी के बारे में अब यह कहना ठीक नहीं माना जा सकता कि कांग्रेस अब वंशवाद को बढ़ावा दे रही है। क्योंकि वास्तविकता यही है कि राहुल के पास एक लम्बा राजनीतिक अनुभव है। उन्होंने राष्ट्रीय राजनीति में कई महत्वपूर्ण पदों पर भूमिका निभाई है। हां, यह जरुर कहा जा सकता हे कि राहुल गांधी से पूर्व इस परिवार के जो सदस्य राष्ट्रीय राजनीति में आए, उनमें से सभी ने एकाएक राजनीतिक प्रवेश किया। उनके पास पहले से कोई राजनीतिक अनुभव नहीं था। इन्हें वास्तव में वंशवाद का उदाहरण कहा जा सकता है, लेकिन राहुल गांधी को नहीं। राहुल गांधी जनप्रतिनिधि भी रहे तो संगठन में भी रहे। आज राहुल गांधी एक परिपक्व राजनेता की भूमिका में कांग्रेस के मुखिया बने हैं। इसलिए यह भी संभवनाएं बनती हुई दिखाई दे रही हैं कि अब राहुल गांधी का परिपक्व चेहरा देश को दिखाई देगा। राहुल के बारे में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता कर्ण सिंह ने कहा कि मैंने गांधी परिवार की पांच पीढ़ियां देखी है वंशवाद में कुछ भी गलत नहीं है। मैं खुद एक परिवार का प्रतिनिधित्व करता हूं राहुल के पास एक नेता के सभी गुण विद्यमान हैं।
राहुल गांधी ने कांग्रेस अध्यक्ष का पदभार संभाल लिया। उनकी ताजपोशी के लिए पार्टी मुख्यालय में भव्य समारोह का आयोजन किया गया। स्वागत समारोह की तस्वीरों में दिखाया गया कि कांग्रेस दफ्तर के बाहर भारी संख्या में पार्टी कार्यकर्ता एकजुट थे। वहां तरह-तरह का नाच-गाना और नारेबाजी हो रही थी। ताजपोशी के बाद जब सोनिया का भाषण शुरू हुआ तो आतिशबाजी होने लगी। आवाज इतनी तेज थी कि सोनिया को अपना भाषण बीच में रोककर पटाखों को शांत करने के लिए कहना पड़ा था।
सुरेश हिन्दुस्थानी
लेखक वरिष्ठ स्तंभकार और राजनीतिक विश्लेषक हैं
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