रविवार को जनता कर्फ्यू की घोषणा के लिए प्रधानमंत्री जी बधाई के पात्र हैं। ये भले ही प्रयोग लगे लेकिन मानवता की हिफ़ाज़त के लिए ज़रूरी क़दम है। एक दिन के लिए ही सही, आप का भीड़ से अलग रहना वायरस श्रृंखला की कड़ी तोड़ देता है। बल्कि होना ये चाहिए कि उस दिन अखिल भारतीय स्तर पर ज़रूरी सेवाओं को छोड़कर तमाम ट्रांसपोर्ट और दो पहिया, चार पहिया गाड़ियों, बाज़ारों, दूकानों को पूरी तरह से बंद रखना चाहिए। जिससे वायरस के साथ प्रदूषण के स्तर में भी भारी गिरावट आएगी। जिस देश में राजनीतिक दल आए दिन अपने मतलब के लिए चक्का जाम कराते रहते हैं वहां इंसानियत की भलाई के लिए एक दिन और सही।
भारत में आज से कम्यूनिटी इन्फेक्शन का समय शुरू हो चुका है। इस समय अन्तराल में कोरोना एक व्यक्ति से दूसरे में तेज़ी से फैलता है। फिलहाल हर व्यक्ति हर प्रकार के पारिवारिक या सामाजिक उत्सव कुछ समय के लिये स्थगित कर दें। इस समय यदि आप अपने परिवार को बचा लेंगे तो जंग जीत सकते हैं। हम जितने कम लोगों से मिलेंगे, हम और हमारे लोग उतने ही सुरक्षित रहेंगे। अभी तक COVID-19 का इलाज़ नहीं है। WHO, चीन, अमेरिका, यूरोप, IIM, IIT प्रधानमन्त्री कार्यालय सभी बेवकूफ़ नही हो सकते। इसलिए इत्र मुत्र के धार्मिक पाखंड में पड़ने के बजाय सावधानी बरतना सबके लिए ज़रूरी है।
आम हो या ख़ास बहुत सारे लोग अब भी बीमारी की गम्भीरता को नहीं समझ रहे हैं। लापरवाही से आप अपने साथ उन अनेक लोगों की जान लेने का प्रयास कर रहे हैं जो जीना चाहते हैं। बॉलीवुड की प्लेबैक सिंगर कनिका कपूर कोरोना पॉजिटिव पाई गई हैं। लंदन से नौ मार्च को मुम्बई आने के बाद 15 मार्च को लखनऊ पहुंची। उन्हें पता नहीं था कि वो COVID-19 की शिकार हो चुकी हैं। लखनऊ की एक पार्टी में उनके साथ उत्तर प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री जय प्रताप सिंह, भाजपा सांसद दुष्यंत सिंह, राजस्थान की पूर्व सीएम वसुंधरा राजे और उत्तर प्रदेश के अनेक पदाधिकारी भी शामिल थे। उत्तर प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री लंबे समय से कोरोना वायरस को लेकर जागरुकता अभियान चला रहे थे, अब बेचारे वह भी अपनी स्कैनिंग कराएंगे।
आप हम, में से कोई भी कोरोना से इन्फेक्टेड हुआ तो तुरन्त बीमारी के लक्षण दिखाई नहीं देंगे। इन्फेक्टेड होने से 14 दिन बाद तक कभी भी उनमें लक्षण आ सकते हैं और उनसे अन्य व्यक्तियों में इन्फेक्शन फैल सकता है। सत्तर अस्सी साल के बुजुर्गों के शरीर में रोग प्रतिरोधक क्षमता कम होने के कारण कोरोना का असर उनपर तेज़ी से हो रहा है। इसलिए सभी बुज़ुर्गों को बाहर जाने से ख़ुद रोकना चाहिए या उन्हें जबरन रोका जाना चाहिए। याद रखिये कि समझदारी से उठाया गया हमारा प्रत्येक क़दम इस महामारी से लड़ने में अत्यंत प्रभावशाली साबित हो सकता है।
अब्दुल ग़फ़्फ़ार
लेखक कहानीकार एवं सामाजिक कार्यकर्ता हैं, तथा लेखन के कार्य में लगभग 20 वर्षों से सक्रिय हैं। सम्पर्क +919122437788, gaffar607@gmail.com
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