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‘बेटी बचाने, बेटी पढ़ाने’ के लिए महायात्रा पर ‘मां’…

sablog.in डेस्क – भारूलता कांबले। भारत की बेटी, एक पत्नी, एक मां, एक कैंसर सर्वाइवर और ब्रिटिश गर्वनमेंट की पूर्व कर्मचारी। परिचय कई हैं, लेकिन, भारत के गुजरात स्थित नावासारी में पैदा होने का गौरव हासिल करने वाली भारूलता सिर्फ एक हैं। इन्हें कार चलाने का शौक है। लिहाजा, वक्त, वे-वक्त कार लेकर निकल पड़ती हैं। घूमने नहीं, सफर के मार्फत दुनिया को सीख देने, बेटी बचाने, बेटी पढ़ाने का। गाड़ी ड्राइव करके कई और संदेश इन्होंने दिए हैं। फिलहाल, ब्रिटेन में रह रहीं भारूलता ने एक और पहल की है। 13 अक्टूबर को बेटी बचाने, बेटी पढ़ाने का संदेश देने भारूलता कांबले बेटे प्रियम (13) और आरूष (10) के साथ 20 दिनों के दौरान 10 हजार किलोमीटर की दूरी तय करके आर्कटिक सर्किल का गाड़ी से चक्कर लगाएंगी। इस दौरान भारूलता 14 देशों से गुजरेंगी।

sablog.in से बातचीत के दौरान भारूलता ने बताया कि दो महीने पहले ही उन्होंने कैंसर से जंग जीती है। और, आर्कटिक सर्किल के सफर पर निकलने का फैसला लिया है। सफर के समापन पर आर्कटिक सर्किल के नॉर्डकॉप में भारतीय ध्वज को भी फहराएंगी। यात्रा का मकसद बेटी बचाने, बेटी पढ़ाने का संदेश है। दुनिया को बेेटी होने पर खुुश होने की वजह बताई जाएगी। बताया कि पिछले साल भी आर्कटिक सर्किल का चक्कर लगाने के साथ ही 32 देशों की यात्रा करते हुए भारत पहुंची थी। भारत में उन्होंने प्रधानमंत्री से मुलाकात की तो उनके सम्मान में भी कई कार्यक्रम आयोजित किए गए। वहीं यूनाइटेड किंगडम में उन्होंने साड़ी में गाड़ी कार्यक्रम का आयोजन किया था। जिसमें 120 महिलाओं ने लाल साड़ी में गाड़ी ड्राइव करके बेटी बचाने, बेटी पढ़ाने का संदेश दिया था। इसकी ब्रिटेन के साथ दुनियाभर में तारीफ हुई थी।

 

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लोक चेतना का राष्ट्रीय मासिक सम्पादक- किशन कालजयी

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