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जूम इन
अन्धे हैं, किसी की बला से
क्या कहा? कान के पर्दे फट रहे हैं? – सुनना ही क्या है? क्या कहा? आँखें कड़ुआ रही हैं? – देखना क्यों? क्या कहा? साँस लेने में दिक्कत हो रही हैं? – जी के क्या करोगे? जिनकी छाती में…
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जूम इन
और नहीं बस और नहीं
जनता गरम हवा में पकौड़े छानने लगती है, जब राजनेता घोषणाओं के जुमले से हवा गरम कर देते हैं। चुनाव जुमलों की पतंगें उड़ाने का पर्व होता है। घोषणाएँ अब वादा नहीं, बिना हार्डवेयर का कम्प्यूटर हैं। जब तक…
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जूम इन
बाजार के रहमोकरम पर है संहिता और संविधान
एक समाचार चैनल पर टीआरपी घोटाला का मामला दर्ज किया गया है। चैनल चलाना व्यवसाय है। व्यवसाय युद्ध है। युद्ध में मौत स्वाभाविक है। युद्ध का लक्ष्य ही अधिक से अधिक की हत्या करना होता है। इसके लिए वार…
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जूम इन
थाली के चट्टे बट्टे
पहले थैली के चट्टे बट्टे होते थे। अब थाली के। थैली का जमाना जो लद गया। लद गया जो जमाना वह लद्दूओं का था। लद्दूओं की थाली में छेद ही छेद होते थे, जिससे पतली दाल बह जाया करती…
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जूम इन
तेरा क्या होगा कालिया? कालिया नहीं, आलिया कहिए जनाब
सुशांत की मौत सपने की मौत है। सपने की मौत होती है तो दर्द गहरा होता है। गहरी पीड़ा से सारा हिंदुस्तान कराह रहा है। कराहता हुआ हिंदुस्तान न्याय माँग रहा है। न्याय है जो नाच रहा है। कहना…
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