टर्निंग प्वाइंट मनीष उप्पल की पहली शॉर्ट फिल्म थी। और जब पहला लॉक डाउन हुआ उसके कुछ समय बाद मनीष को कई विचार आए और लगभग 7-8 फिल्में मोबाइल कैमरे के सहयोग से बना डाली। सभी की एडिटिंग भी मोबाइल में ही की लगभग। और 7 फिल्मों से करीबन 70 के आस-पास नेशनल- इंटरनेशनल अवॉर्ड फ़िल्म फेस्टिवल्स में हासिल किए। उन सभी फेस्टिवल्स का जिक्र मात्र करूँ तो यह पोस्ट बहुत बड़ी हो जाएगी। जिसमें 70 अवॉर्ड जीतने के अलावा न जाने कितने ही फेस्टिवल्स में नॉमिनेशन का भी जिक्र करना पड़ जायेगा।
फ़िल्म की कहानी है एक कार्तिक आर्यन नाम के कलाकार की। जो फिल्मों में काम करता है। लॉक डाउन और महामारी के चलते उसके पास काम नहीं है। खाने का इंतजाम कैसे करे। इसी चिंता में घुलता हुआ वह हमारे कोरोना वारियर्स के लिए एक विचारोत्तेजक कविता लिखता है। उसे यूटयूब पर अपलोड करता है और वह वायरल हो जाती है देखते ही देखते। फिर उसे एक बड़े डायरेक्टर की तरफ से फ़िल्म में काम करने का ऑफर भी आता है।
इस तरह की कहानियां हम पहले भी कई बार देख,सुन चुके हैं फिल्मों में भी और अखबारों की कतरनों में भी। इस वजह से यह फ़िल्म कोई विशेष फ़िल्म तो नहीं बन पाती लेकिन हां सम्भवतः यह फ़िल्म बतौर एक्टर, लेखक, निर्देशक, एडिटर, प्रोड्यूसर मनीष उप्पल की जिंदगी का टर्निंग प्वाइंट जरूर साबित हुई। इस फ़िल्म के बाद उन्हें एक से एक विचार आए और ‘पट्ट द साउंड’ उनकी खासी चर्चा में रही। जिसका रिव्यू आपको सबलोग पर ही मिल जाएगा। (पढ़ने के लिए यहाँ क्लिक करें)
इस फ़िल्म को मनीष की बाकी फिल्मों की तरह एमएक्स प्लेयर पर फ्री में देखा जा सकता है। यह पहली फ़िल्म थी मनीष की, इसलिए मनीष ने बताया कि उन्हें इस फ़िल्म को पूरा करने में मात्र 40 घण्टे का समय लगा। जिसमें फ़िल्म के प्री प्रोडक्शन से लेकर पोस्ट प्रोडक्शन उसकी कहानी, स्क्रीनप्ले सब शामिल हैं। इस फ़िल्म में ‘पट्ट द साउंड’ जैसा बेहतरीन अभिनय तो देखने को नहीं मिलता लेकिन हां एडिटिंग, एक्टिंग, कैमरा औसत तो वहीं कविता इनके बनिस्बत अच्छी रही। फिल्म को एमएक्स प्लेयर पर यहाँ क्लिक कर देखा जा सकता है।
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