समय पूर्व लाभांश देने का फैसला रिजर्व बैंक ऑफ़ इंडिया ने एक बड़ा ऐलान किया है। बैंक ने लोकसभा चुनाव से पहले भाजपा सरकार को लाभांश के रूप में आर्थिक मदद करने का फैसला लिया है। दरअसल रिजर्व बैंक ऑफ़ इंडिया ने सरकार को समय से पहले लाभांश देने का फैसला किया है। बीजेपी सरकार को लाभांश के रूप में बैंक द्वारा 28000 करोड़ रूपये दिए जा अब यहाँ देखने वाली बात यह है की, आखिर बैंक द्वारा सरकार को समय से पहले लाभांश देने के पीछे क्या कारण है। वो भी ऐसे समय में जब लोकसभा चुनाव सर पर है। आखिर मोदी सरकार पर बैंक द्वारा इतनी मेहरबानी क्यों दिखाई जा रही है। आपको यह भी मालूम होना चाहिए की रिजर्व बैंक ऑफ़ इंडिया द्वारा दिए जाने वाला यह वही लाभांश है,जिसपर सरकार के साथ सहमति नहीं बनने पर उर्जित पटेल ने दिसंबर 2018 में अचानक इस्तीफा दिया था। रिजर्व बैंक ने सोमवार को कहा कि वह अंतरिम लाभांश के रूप में सरकार को 28,000 करोड़ रुपये देगा। आरबीआई के केंद्रीय निदेशक मंडल की बैठक में यह निर्णय किया गया। आरबीआई ने एक बयान में कहा है कि सीमित आडिट तथा वर्तमान आर्थिक पूंजी मसौदे की समीक्षा के बाद निदेशक मंडल ने 31 दिसंबर 2018 को समाप्त छमाही के लिये अंतरिम अधिशेष के रूप में केंद्र सरकार को 280 अरब रुपये हस्तांतरित करने का निर्णय किया है। यह लगातार दूसरा साल है जब रिजर्व बैंक अंतरिम अधिशेष हस्तांतरित कर रहा है।आरबीआई ने पिछले साल अगस्त में केंद्र को 40 हजार करोड़ रुपये दिए थे. यह रिकॉर्ड डिविडेंड है. इससे पहले किसी भी वित्त वर्ष में आरबीआई ने सरकार को इतना डिविडेंट नहीं दिया था. इससे पहले आरबीआई ने वित्त वर्ष 2016 में सबसे अधिक 65,896 करोड़ का डिविडेंड सरकार को दिया था. वित्त वर्ष 2018 में सरकार को आरबीआई से 40,659 करोड़ रुपये मिले थे. आइए अब यह जानते हैं की रिजर्व बैंक ऑफ़ इंडिया का क्या बयान आया है, केंद्रीय बैंक ने एक बयान में कहा, ‘‘सीमित आडिट तथा वर्तमान आर्थिक पूंजी मसौदे की समीक्षा के बाद निदेशक मंडल ने 31 दिसंबर 2018 को समाप्त छमाही के लिये अंतरिम अधिशेष के रूप में केंद्र सरकार को 280 अरब रुपये हस्तांतरित करने का निर्णय किया है।’’ दरअसल, किसानों के खाते में पहली किस्त के रूप में 2000 रुपये देने के लिए सरकार को 20 हजार करोड़ रुपये की 31 मार्च तक जरूरत है। लेकिन यह भी माना जा रहा है की पिछले साल दिसंबर महीने में विधानसभा चुनाव में मिली हार के बाद, मोदी सरकार किसानों के वोटबैंक के लिए यह कदम उठा रही है। सरकार कुछ ही समय बाद देश में होने वाले लोकसभा चुनाव के लिए कोई भी रिस्क नहीं उठाना चाहती है। रिजर्व बैंक के गवर्नर (RBI) शक्तिकांत दास और वित्त मंत्री अरूण जेटली पब्लिक और प्राइवेट सेक्टर के बैंकों के सीईओ से 21 फरवरी को मिलेंगे। इस बैठक में ब्याज दरों में कटौती और ग्राहकों को पास किए गए फायदे पर चर्चा की जाएगी। इससे पहले रिजर्व बैंक ने रेपो रेट में 0.25 फीसदी की कमी की है। वित्त मंत्री अरुण जेटली ने भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के केंद्रीय बोर्ड की बैठक के बाद कहा कि बीते पांच सालों मे राजस्व में ग्रोथ देखने को मिली है। वित्त मंत्री अरूण जेटली के केंद्रीय बैंक के निदेशक मंडल को संबोधित करने के बाद दास ने संवाददाताओं से कहा कि मौद्रिक नीति निर्णय का लाभ कर्जदाताओं को देना महत्वपूर्ण है। बैंकों के विलय के बारे में जेटली ने कहा कि देश को कुछ और बड़े आकार के बैंकों की जरूरत है जो सुदृढ़ हों।
लेखिका सबलोग के उत्तर प्रदेश ब्यूरो की प्रमुख हैं
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