जय प्रकाश

  • यत्र-तत्र

    छत्तीसगढ़ी नाचा, मँदराजी और हबीब तनवीर

      लोकनाट्य ‘नाचा’ छत्तीसगढ़ की विशिष्ट सांस्कृतिक पहचान है। आज भी यह अत्यंत लोकप्रिय विधा है। उसके स्वरूप में समय के अनुसार क्रमशः बदलाव आया है लेकिन अब भी वह जीवंत और सक्रिय है। यह जीवनी-शक्ति उसे समाज और लोक-जीवन…

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  • यत्र-तत्रमुक्तिबोध

    स्मारक में मुक्तिबोध

      मुक्तिबोध की स्मृतियों को सँजोने के लिये राजनांदगाँव में 2005 में एक स्मारक बनाने की योजना पर तत्कालीन छत्तीसगढ़ सरकार ने महत्त्वपूर्ण पहल की। कलेक्टर की अगुवाई में एक समिति गठित हुई जिसमें मुक्तिबोध के मित्र शरद कोठारी, प्राध्यापक…

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  • शख्सियतमुक्तिबोध का

    मुक्तिबोध का आख़िरी ठिकाना

        उन्नीसवीं सदी में बैरागी शासकों ने राजनांदगाँव रियासत क़ायम की थी। देश की आज़ादी के बाद भारतीय संघ में उसका विलीनीकरण हुआ और शहर के गणमान्य नागरिकों के आग्रह पर राजा दिग्विजय दास ने महाविद्यालय की स्थापना के…

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  • यत्र-तत्रडिजिटल कविता का

    डिजिटल कविता का उभार

      सूचना और संचार की उच्चतर तकनीक आज जिस शिखर पर पहुँच गयी है, उसमें डिजिटल कविता का आविर्भाव आकस्मिक नहीं है। सच पूछा जाए तो डिजिटल कविता आज के समय के द्वारा रची गयी और स्वयं समय की अपरिहार्य…

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  • यत्र-तत्रडिजिटल कविता

    डिजिटल युग में कविता

      बीसवीं शताब्दी तक आकर मानव-सभ्यता जिस मुकाम पर पहुँची, वहाँ अभिव्यक्ति के दो माध्यम पूरी तरह विकसित हो चुके थे– वाचिक माध्यम और मुद्रित माध्यम। वाचिक या उच्चरित शब्द सदियों पहले से श्रुति-परंपरा के रूप में मौजूद था। फिर…

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  • देश

    हिन्दी की हिन्दुत्ववादी आलोचना – डॉ. अमरनाथ

      डॉ. अमरनाथ   जिस प्रकार प्रगतिवादी आलोचना के विकास के पीछे मार्क्सवादी जीवन दर्शन है उसी तरह आधुनिक भारत में हिन्दुत्ववादी आलोचना का भी विकास हुआ है और उसके पीछे हिन्दुत्ववादी जीवन दर्शन है। इस दर्शन का वैचारिक स्रोत…

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