मार्कण्डेय काटजू
-
साहित्य
कला, साहित्य और मीडिया की भूमिका – मार्कण्डेय काटजू
(1) “गुलों में रंग भरे बाद-ए-नौबहार चले चले भी आओ के गुलशन का कारोबार चले” आज का भारत बहुत सारी बड़ी समस्याओं का सामना कर रहा है। महाराष्ट्र, आंध्रप्रदेश, आदि में किसान और बुनकर आत्महत्या कर रहे हैं। आवश्यक…
Read More »