उत्तर प्रदेश में लाख कोशिश के बावजूद नौकरशाही की मनमानी थमने का नाम नहीं ले रही है। बढ़ती शिकायतें देख खुद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ कई बार अफसरों को आगाह तक कर चुके हैं, परन्तु लापरवाही पर खास असर नहीं पड़ सका है। आम जनता को छोड़िए, सांसद – विधायक तक अक्सर यह दुखड़ा रोते हुए पाए जाते हैं कि अफसर फोन नहीं उठाते। 16 मार्च को मुख्य मंत्री दफ्तर से की गई रियल्टी- चेकिंग में कई अफसरों ने फोन अटेंड नहीं किया। फेल नजर आए। मुख्य मंत्री दफ्तर से अपर मुख्य सचिव एस पी गोयल ने रैंडम आधार पर कई जिलों में कमिश्नर, डीएम, एसएसपी, एसपी को उनके सीयूजी नंबर पर फोन कराया, लेकिन कई बड़े अफसरों की तरफ से फोन उठाया तक नहीं गया। आगरा मंडल में तो किसी जिले के एसपी और एसएसपी ने फोन तक नहीं उठाया। शून्य रिस्पांस देख इसे बेहद लापरवाही माना गया है।
शासन ने 25 जिला अधिकारी और चार मंडलायुक्त को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है। नियुक्ति एवं कार्मिक विभाग की तरफ से भेजी गई नोटिस में तीन दिनों में स्पष्टीकरण देने को कहा गया है। वाराणसी, प्रयागराज अयोध्या व बरेली के कमिश्नर से जवाब तलब किया गया है।
गौतमबुद्ध नगर, गाजियाबाद, बदायूं, अलीगढ़, कन्नौज, संतकबीर नगर, सिद्धार्थ नगर, गोरखपुर, फिरोजाबाद, हापुड़, अमरोहा, पीलीभीत, बलरामपुर, गोंडा, जालौन, कुशीनगर, औरेया, कानपुर, कानपुर देहात, झांसी, मऊ, वाराणसी, प्रयागराज, अयोध्या, बरेली व आजमगढ़ जिले के डीएम से तीन दिनों के भीतर स्पष्टीकरण देने को कहा गया है । इसी तरह आगरा मंडल में किसी भी जिले में एसपी और एसएसपी ने फोन अटेंड नहीं किया। अलीगढ़, प्रयागराज, कानपुर नगर, रायबरेली, कन्नौज, औरेया, कुशी नगर, जालौन जिले में भी फोन नहीं उठाया गया।
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