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धर्मराजनीति

सीधे मुसलमानों से

 

चौकीदार चोर हैका रिएक्शन सामने है। 
 भाजपा को हिन्दूओं की पार्टी समझने का नतीजा सामने है।

भाजपा की राजनीति और रणनीति रही है ख़ुद को हिन्दू समुदाय की पार्टी साबित करने की जिसमें वो कामयाब रही है। मुसलमानों के वोट पर तवज्जो नही देना, मुसलमानों को टिकट नही देना और मुस्लिम हितों की बातें नही करना इसके उदाहरण हैं।

मेरा मानना है कि भाजपा मुसलमानों का कोई नुक़सान नहीं करती और बिना भेदभाव के सबके साथ समान व्यवहार करती है। हालाँकि उसने कुछ लोगों को हिन्दू तुष्टिकरण के लिए ज़रूर छोड़ रखा है जिनकी बयानबाजियाँ सिर्फ़ बहुसंख्यक हिन्दूओं का वोट हासिल करने के लिए होती हैं।

सबसे ख़राब बात ये है कि मुसलमान कांग्रेस सहित चन्द क्षेत्रीय दलों को धर्म निरपेक्ष मानने का वहम पाले हुए हैं और उससे भी ज्यादा ख़राब बात ये है कि बहुतेरे हिन्दू कांग्रेस, राजद, सपा, बसपा जैसे दलों को मुसलमानों की पार्टी मान बैठे हैं। जबकि कांग्रेस, सपा, बसपा, राजद, तृणमूल, डीएमके, एआईडीएमके या वामपंथी दल, इनमें से कोई भी दल मुसलमानों की पार्टी नही है और ना ही किसी दल का मुखिया मुसलमान है जो भविष्य में प्रधानमन्त्री या मुख्यमन्त्री बनने की संभावना रखता है।

मेरा ये मानना है कि मुस्लिम समुदाय को भाजपा से डरने  या विरोधियों द्वारा डराए जाने के दुष्चक्र से अपने आपको निकालने की ज़रूरत है। भाजपा, कांग्रेस या किसी भी दल में भ्रष्टाचार लिप्त या भ्रष्टाचार मुक्त शासन के अतिरिक्त और कोई फ़र्क़ नही है। हमें इस चक्रव्यूह से निकलना होगा और शिक्षा, नौकरी, राजनीति और व्यापार पर विशेष ध्यान देकर विकास के पथ पर आगे निकलना होगा।

मुसलमान भाजपा को वोट नही देते, इस छवि को तोड़ने की ज़रूरत है। हमें अलग थलग पड़ने के बजाय मुख्य धारा में शामिल होने की ज़रूरत है। सिर्फ़ नकारात्मक और आलोचनात्मक राजनीति करने और मुस्लिम समुदाय द्वारा भाजपा के विरोधी दलों को वोट देते रहने से भाजपा का कोई नुक़सान होने वाला नहीं है। मुस्लिम समुदाय के धर्म पर आधारित हर निर्णय का जवाब भाजपा 80 प्रतिशत हिन्दूओं की भावना को भड़का कर देती रहेगी और चुनाव जीतती रहेगी। इसलिए मुसलमानों को चुनाव में धर्म आधारित निर्णय लेने से बचने की ज़रूरत है।

रही बात, भाजपा अगर अन्य नागरिकों के साथ मुस्लिमों को भी भय और भ्रष्टाचार मुक्त शासन दे रही है तो तथाकथित धर्मनिरपेक्ष दलों का वोट बैंक बने रहने का क्या मतलब!

संविधान के मुताबिक़ किसी भी दल की सरकार, किसी भी समुदाय विशेष को ना तो विशेष सुविधाएँ दे सकती हैं और ना ही समुदाय विशेष को किसी सरकारी लाभ से वंचित रख सकती है। फिर हम लोग यह क्यों मान बैठे हैं कि भाजपा हमारा कुछ बिगाड़ सकती है या कांग्रेस हमारा कुछ बना सकती है। हमें इस दुस्सवप्न से बाहर निकलना होगा और विकास और शांति के नाम पर मतदान करना होगा ना कि भाजपा या कांग्रेस के नाम पर।

इस बार के आम चुनाव में ईमानदार और सख़्त प्रधानमन्त्री की छवि पर मोदी जी ने प्रचंड बहुमत हासिल किया है। पिछले पाँच सालों में कुछ अपवादों को छोड़कर मोदी जी के नेतृत्व में एनडीए की सरकार ने हर क्षेत्र में बेहतर काम किया  है, बाक़ी कसर पुलवामा हमले ने पूरा कर दिया।

इसलिए इन नतीजों पर हैरान और परेशान होने की ज़रूरत नही है। इस आम चुनाव में सबसे अच्छी बात ये रही कि एनडीए गठबन्धन को कुल मुस्लिम मतों का 20 प्रतिशत प्राप्त हुआ जो तथाकथित धर्मनिरपेक्ष दलों और हिन्दू राष्ट्र का सपना देखने वालों की नींद उड़ाने के लिए काफ़ी है।

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