दो टूक

सोशल मीडिया से पता चलता है आदमी की मानसिकता

अभी जल्दी की एक सच्ची घटना है। एक युवक ने नौकरी के लिए इंटरव्यू दिया था। वह पहले से ही रैंकर था। इंटरव्यू भी उसका सब से अच्छा हुआ था। इंटरव्यू में उससे जितने भी सवाल पूछे गए थे, उसने लगभग सभी सवालों के सही जवाब दिए थे। इम्प्रेशन भी उसने अच्छा जमाया था। सब कुछ बढ़िया होने के बावजूद उसे नौकरी के लिए सिलेक्ट नहीं किया गया। उस युवक ने अपने सोर्स से पता किया कि सब कुछ बढ़िया होने के बावजूद उसे नौकरी पर क्यों नहीं रखा गया? पता चला कि वह युवक सोशल मीडिया पर बिंदास फोटो डालता था और मन में जो आता था, वह लिख देता था। उससे कहा गया कि सोशल मीडिया पर आप जो कारनामा कर रहे हैं, उसकी वजह से आप को नौकरी मिली है।
इसी तरह का एक दूसरा किस्सा भी जानने लायक है। घर वालों ने एक लड़के की मुलाकात एक लड़की से कराई। दोनों ने अकेले में बैठ कर बातें कीं। दोनों ही एकदूसरे के लिए पाॅजिटिव थे। लड़का वेल एजुकेटेड था और बहुत बढ़िया नौकरी कर रहा था। दोनों ओर से हां होने वाली थी कि दो दिन बाद लड़की ने इस शादी के लिए मना कर दिया। लड़की के पिता ने बेटी से शादी न करने की वजह पूछी तो लड़की ने सोशल मीडिया पर लड़के की प्रोफाइल और उसने जो कुछ अपलोड किया था, वह सब दिखा दिया। उस लड़के ने दोस्तों के साथ शराब पार्टी, लड़कियों के साथ मस्ती और इसी तरह के तमाम अन्य फोटो डाल रखे थे। लड़की ने कहा कि ‘मुझे नहीं लगता कि मैं इसके साथ रह पाऊंगी।’
आप मानें या न मानें, पर ऐसा हो रहा है। कोई भी बात होती है, अब लोग सामने वाले व्यक्ति की सोशल मीडिया एक्टिविटी चेक कर लेते हैं। विदेशों में भी अब कंपनियां ऐसा ही कर रही हैं।  सोशल मीडिया चेक किए बगैर अब किसी आदमी को नौकरी पर नहीं रखती हैं। हम सोशल मीडिया पर जो कुछ भी लिखते हैं या जो फोटो अपलोड करते हैं, उससे आदमी की मानसिकता का पता चल जाता है। उसके विचार कैसे हैं, आदमी क्या सोचता है, क्या मानता हैं, किस का सपोर्ट करता है, आदमी को क्या अच्छा लगता है?
वह एक आदमी के रूप में कैसा है, इसका पता चल जाता है। कभी-कभी हम यह दलील करते हैं कि आदमी की एक पर्सनल लाइफ भी होती है। हां , बिलकुल होती है, पर पर्सनल लाइफ को आखिर प्रोफेशनल लाइफ असर करने वाली ही है। हम सोशल मीडिया पर जो कुछ भी करते हैं, भले ही वह पर्सनल लगता हो, पर वह व्यक्तिगत होता नहीं है। तमाम लोग अपना सोशल एकाउंट प्राइवेट रखते हैं, कुछ ही लोगों को दोस्त बनाते हैं, सिलेक्टेड लोगों को ही फाॅलो करते हैं। जानते हैं विदेशों में कुछ कंपनियां नौकरी का ऑफर करने के साथ ही लिखित में आप के सोशल मीडिया के बारे में जानने की परमीशन मांग लेते हैं। कंपनी की फ्रेंड रिक्वेस्ट को आप नकार नहीं सकते हैं।
अगर कोई कंपनी कहती है कि आप को फलां पोस्ट हटानी होगी तो किसी भी तरह की दलील दिए बगैर आप को वह पोस्ट हटानी होगी। कंपनी का कहना होता है कि आप की इमेज के साथ हमारी भी प्रेस्टीज जुड़ी है। आप जो कुछ करते हैं, तुरंत सवाल उठेगा कि भाई या बहन क्या करता है? कहां नौकरी करती है? एक कंपनी ने तो यहां तक कह दिया कि हमारा हर कर्मचारी हमारा ब्रांड एम्बेसडर हैं। इसलिए उनकी भी जिम्मेदारी बनती है कि वे इस तरह का कोई काम न करें, जिससे कंपनी को नुकसान पहुंचे। इंटेलिजेंस, सिक्योरिटी और सिक्सी का काम करने वाली अनेक सरकारी और व्यक्तिगत कंपनियां तो सोशल मीडिया एक्टिविटी की छूट ही नहीं देतीं। इन कंपनियों का कहना है कि उनके ऊपर दुश्मनों एवं प्रतिद्वंद्वियों की नजर होती है। उनकी  गतिविधियां देख कर वे कुछ भी कर सकते हैं।
क्राइम की एक घटना में ऐसा ही हुआ था। एक आदमी को निशाना बनाना था। सोशल मीडिया द्वारा उस पर नजर रखी जा रही थी। सोशल मीडिया की हिस्ट्री द्वारा यह खोज निकाला गया कि वह आदमी हर दो महीने पर एक हिल स्टेशन पर जाता है, इस होटल में रुकता है और ऐसीऐसी प्रवृत्तियां करता है। इस स्थान पर जा कर उस पर हमला किया गया था। पर किसी समय जस्ट फार फन करने की खातिर कुछ कर रहा हो तो हमें इस बात की कल्पना भी नहीं होती कि इसका परिणाम क्या होगा। हमें जाने अनजाने में की गई गलतियों का परिणाम भोगना ही पड़ता है।
इंग्लैंड के क्रिकेटर ओली रोबिंसन को कुछ ऐसा ही अनुभव हो रहा है। 2012 में ओली ने एशियन और मुस्लिमों के बारे में सोशल मीडिया पर अनुचित टिप्पणी की थी। इस टिप्पणी के स्क्रीन शाॅट पर अभी विवाद गहराया था। यूके के एक मंत्री ने उन्हें सस्पेंड करने की मांग की थी। इस विवाद के बाद बिटेन की क्रिकेट टीम के बैटिंग कोच ग्रेहाम थोर्प ने कहा कि अब किसी खिलाड़ी का चयन करने से पहले उसका सोशल मीडिया हिस्ट्री ठीक से चेक किया जाएगा। नौ साल पुराना जिन्न अब निकला हो तो रोबिंसन तनाव में आ गए हैं। रोबिंसन के मामले से यह सीख मिलती है कि सोशल मीडिया पर अगर आज हम कुछ करते हैं तो इसका परिणाम  5, 10 या 20-25 साल बाद भी आ सकता है। किसने तुम्हारा स्क्रीन शाॅट ले कर संभाल कर रखा है और कब उसका किस तरह उपयोग करेगा, कुछ कहा नहीं जा सकता।
आपने वह फिल्म देखी है, जिसमें एक लड़का अपने फ्रेंड से पूछता है कि अगर तुम्हें कोई लड़की आई लव यू का मैसेज करे तो तुम क्या करोगे? उसका फ्रेंड कहता है कि सब से पहले तो उसका स्क्रीन शाॅट ले लेंगे। यह बात मजाक में कही गई थी। पर इसके पीछे जो नीयत है, वह समझने लायक है। हम जो भी मैसेज करते हैं, उसका किसी भी रूप में उपयोग हो सकता है। कभी हम भावुक हो कर किसी के लिए कुछ लिखते हैं, किसी का फेवर करते हैं अथवा विरोध करते हैं, ऐसे तमाम लोग हैं, जो इसे भूलते नहीं है। पहले लोग इसे दिमाग में रखते थे, अब लोग स्क्रीन शाॅट ले कर फोन की गैलरी में सेव कर लेते हैं।
भारतीय क्रिकेटर हरभजन सिंह ने अभी खालिस्तानी आतंकवादी जनरैल सिंह भिंडरवाला का फोटो डाल कर शहीद का दर्जा दिया तो सभी ऊहापोह में पड़ गए। तमाम नेता, अभिनेता या सेलिब्रिटी कभी अंजाने में तो कभी अंजाने में कोई न कोई बवाल कर देते हैं और जब बवाल हो जाता है तो माफी मांग लेते हैं। उन्हें पता नहीं होता कि हाथ से निकला तीर वापस नहीं आता। कभी किसी से प्रेम हो जाए या किसी से दोस्ती हो जाए या किसी ने हमारे लिए कुछ किया हो तो हम उसके एहसानमंद हो जाते हैं। ऐसा करने में कुछ गलत भी नहीं है। पर जब तक किसी के बारे अच्छी तरह पता न चल जाए, तब तक किसी के बारे में कुछ भी कहना ठीक नहीं है।
अपनी नीयत खराब न हो तब भी कभी-कभी हमारी बात का कुछ अलग ही मतलब निकाल लिया जाता है। इसके अलावा हम जो कुछ भी अपलोड करते हैं, उससे लोगों पर हमारी कैसी छाप पड़ेगी , इस बारे में भी हमें विचार करना चाहिए। कभी-कभी हमारे मन में आता है कि जिसे जो सोचना हो सोचे, जो मानना हो माने और जो कहना हो कहे, यह मेरी जिंदगी है, जिस तरह मन होगा रहूंगा। आई डोंट केयर फाइन। लाइफ आपकी है, पर यह आप तक ही सीमित रहे, यह भी कभी-कभी जरूरी होता है। अपनी व्यक्तिगत बातें, व्यक्तिगत क्षण, व्यक्तिगत अनुभव अपनी वेदना और संवेदना नुमाइश के लिए नहीं है। इसे खुद तक या अपने लोगों तक ही मर्यादित रखने में भलाई है। जमाना देख कर चलना चाहिए। यही ठीक रहेगा
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वीरेन्द्र बहादुर सिंह

लेखक मनोहर कहानियाँ एवं सत्यकथा के सम्पादक रहे हैं। अब स्वतन्त्र लेखन करते हैं। सम्पर्क +918368681336, virendra4mk@gmail.com
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