शैलेन्द्र चौहान
-
May- 2021 -1 Mayसामयिक
मई दिवस : दुनिया भर के मेहनतकशों का अजेय संघर्ष
मई माह की पहली तारीख, औद्योगिक क्षेत्रों में इसे मई दिवस के नाम से जाना जाता है। शिकागो के हे मार्केट चौराहे पर 1 मई से 4 मई 1886 के चार दिनों में घटी घटनाएं खासतौर से 1890 से…
Read More » -
Apr- 2021 -24 Aprilशख्सियत
‘तलछट’ से निकले हुए एक महान कथाकार शैलेश मटियानी
मटियानी जी से मेरी प्रत्यक्ष मुलाकात सन 1982 में परिमल प्रकाशन के संस्थापक शिवकुमार सहाय के घर पर हुई थी। तदुपरांत मटियानी जी का स्नेह मुझपर आजीवन बना रहा। एक बार जब वह गोविंद बल्लभ पंत अस्पताल दिल्ली में…
Read More » -
22 Aprilशख्सियत
एक मिथकीय व्यक्तित्व – शलभ श्रीराम सिंह
शलभ श्रीराम सिंह (05 नवम्बर 1938-22 अप्रैल 2000) से मेरी बहुत मुलाकातें नहीं रहीं। जिस समय शलभ जी विदिशा आए मैं तब विदिशा छोड़ चुका था। 1980 में मैं महाराष्ट्र राज्य के नांदेड शहर में बिजली बोर्ड की नौकरी में…
Read More » -
20 Aprilशख्सियत
किसी गंभीर लेखक का काम दिल बहलाना नहीं होता
चन्द्रबली सिंह का व्यक्तित्व और कृतित्व हिन्दी लेखकों से छिपा नहीं है। वे हिन्दी के शिखरपुरूष रामविलास शर्मा से लेकर नामवर सिंह तक के ज्ञानगुरू रहे हैं। हिन्दी की वैज्ञानिक आलोचना के निर्माण में उनका बहुमूल्य योगदान रहा है।…
Read More » -
16 Aprilशख्सियत
महान हास्य अभिनेता चार्ली चैपलिन
बिना एक शब्द बोले दुनिया के चेहरे पर मुस्कान लाने वाले चार्ली चैपलिन (जन्म 16 अप्रैल 1889) को भला कौन नहीं जानता। मूक फिल्मों के दौर में सर चार्ल्स स्पेन्सर चैपलिन का सिक्का चलता था। दुनिया के हर कोने…
Read More » -
14 Aprilशख्सियत
जाति व्यवस्था के विरुद्ध संघर्ष
डॉ. आम्बेडकर एक बहुजन राजनीतिक नेता, और एक बौद्ध पुनरुत्थानवादी होने के साथ साथ, भारतीय संविधान के मुख्य वास्तुकार भी थे। आम्बेडकर का जन्म एक गरीब अस्पृश्य परिवार मे हुआ था। आम्बेडकर ने अपना सारा जीवन हिन्दू धर्म की…
Read More » -
11 Aprilशख्सियत
सारी विपत्तियों का आविर्भाव निरक्षरता से हुआ
ज्योतिबा फुले ने अपनी पुस्तक ‘गुलामी’ (स्लेवरी) में स्पष्ट लिखा है कि वे अपने देश से अंग्रेजी शासन को उखाड़ फेकना चाहते थे। ज्योतिबा के छात्र जीवन से ही अंग्रेजी हुकूमत के विरुद्ध छुटपुट घटनाएँ होने लगी थी। ज्योतिबा…
Read More » -
9 Aprilशख्सियत
ज्ञान की खोज में – राहुल सांकृत्यायन
(जन्म : 9 अप्रैल 1893) मैं जब इंजिनीयरिंग प्रथम वर्ष का छात्र था तब मेरे मित्र कृष्णानंद के पडोसी छोटे उर्फ राम दुलारे ने मुझे राहुल सांकृत्यायन की लिखी एक पुस्तिका दी ‘भागो नहीं दुनिया को बदलो’। मुझे लगा कि…
Read More » -
5 Aprilउत्तराखंड
धधक रहे हैं उत्तराखण्ड के जंगल
उत्तराखण्ड के जंगलों में प्रति वर्ष लगने वाली आग एक बार फिर चिंता का कारण बनी है। लम्बे समय से सूखे की स्थिति के चलते इस बार इसका स्वरूप बीते वर्षों के मुकाबले कहीं अधिक भयंकर है। अब तक…
Read More » -
3 Aprilअंतरराष्ट्रीय
म्यांमार : एक अदद लोकतन्त्र की तलाश
म्यांमार की सेना ने फरवरी में लोकतांत्रिक रूप से चुनी हुई सरकार का तख्तापलट कर दिया था। जिसके बाद देश भर में प्रदर्शन शुरू हो गये थे। इन प्रदर्शनों में कम से कम 510 प्रदर्शनकारियों की मौत हो चुकी…
Read More »