किशन कालजयी

किशन कालजयी

लेखक प्रतिष्ठित साहित्यिक पत्रिका 'संवेद' और लोक चेतना का राष्ट्रीय मासिक 'सबलोग' के सम्पादक हैं। सम्पर्क +918340436365, kishankaljayee@gmail.com
  • Apr- 2019 -
    3 April
    मुनादी

    विकास गायब, गठबन्धन गैरहाजिर

    आम जनता की सार्वजनिक समस्या, भ्रष्टाचार, गरीबी,बेरोजगारी भारत की  संसदीय राजनीति  के मुद्दे बनते रहे  हैं और इन मुद्दों पर हार जीत होती रही है|  भारत के प्रथम प्रधानमन्त्री जवाहर लाल नेहरू ने नारा दिया था ‘आराम हराम है’,लाल बहादुर…

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  • Mar- 2019 -
    5 March
    मुनादी

    स्त्री अकेली नहीं और अलग नहीं

    भारत का स्वतन्त्रता संग्राम अपनी चेतना और अपने मनोविज्ञान में कई तरह के न्यायिक अधिकारों के संघर्ष को समाहित किये हुए था। इसलिए  भारत में स्त्री आन्दोलन का इतिहास स्वतन्त्रता संग्राम से अलग नहीं है। भारत का  आजादी का आन्दोलन…

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  • Jan- 2019 -
    5 January
    मुनादी

    जनान्दोलन ऐसा जो राजनीति बदल दे

      व्यवस्था में परिवर्तन की चाह से आम जन द्वारा किये गये राजनीतिक और सामाजिक गतिविधियों को ही जनान्दोलन कहा जा सकता है। भारत सैकड़ों वर्षों तक गुलाम बना रहा।उस गुलामी की जकड़ से भारतवासियों  के मुक्त होने की छटपटाहट…

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  • Nov- 2018 -
    13 November

    गरीबों की सुनो

      ऑक्सफैम इंटरनेशनल ने सीआरआई (कमिटमेंट टू रिड्यूसिंग इनइक्वैलिटी) इंडेक्स की जो रिपोर्ट जारी की है. उसकी सूची में शामिल 157 देशों में भारत का 147वां स्थान है. ऑक्सफैम ने भारत के बारे में कहा है कि देश की स्थिति…

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  • Aug- 2018 -
    2 August
    मुनादी

    यह अराजक एकध्रुवीयता

    जनता पार्टी से अलग होकर जो भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) अस्तित्व में आयी दरअसल उसकी बुनियाद 11 अक्टूबर 1951 में ही भारतीय जनसंघ के रूप में पड़ चुकी थी| श्यामा प्रसाद मुखर्जी जवाहर लाल नेहरू के पाश्च्यात्य प्रेम को पसन्द…

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  • Jan- 2018 -
    13 January
    मुनादी

    तेरे बयान पर रोना आया

    इस सप्ताह में दो ऐसी घटनाएं हुई हैं जो केन्द्र सरकार द्वारा चलाए जा रहे कारपोरेटीकरण की प्रक्रिया को और आक्रामक तथा तेज करने के प्रमाण हैं। एक तो बुधवार को केन्द्र सरकार ने एकल ब्राण्ड खुदरा कारोबार में सीधे…

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  • Dec- 2017 -
    12 December
    मुनादी

    कठिन समय में गाँधी

               सभ्यता के विकास-क्रम में आज मनुष्य जिस चौतरफा संकट से घिरा हुआ है, ऐसा इसके पहले कभी नहीं था। बाजारोन्मुख उपभोक्तावादी संस्कृति ने मनुष्य की मानसिकता को भोग-विलास की भावना से जिस कदर भर दिया…

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  • 12 December
    मुनादी

    व्यापक सांस्कृतिक आन्दोलन की जरूरत

      आज के समय में साहित्य के सामने जो संकट है वह इस रूप में इसके पहले कभी नहीं था। दुर्भाग्यवश हिन्दी समाज और हिन्दी साहित्य का संकट बाकी भारतीय भाषाओं की तुलना में थोड़ा ज्यादा है। मौजूदा समय की…

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