aaj bhi khare hain talab
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मुद्दा
पोखर और तालाबों की पारम्परिक व्यवस्था
राज्य समाज के कल्याण के लिए साधन का काम करता है जबकि समाज स्वयं साध्य है। दूसरे शब्दों में कहें तो सदैव साधन का अस्तित्व साध्य के लिए है न कि साध्य का अस्तित्व साधन के लिए। लेकिन आधुनिक…
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शख्सियत
हमारे समय का अनुपम आदमी : अनुपम मिश्र
आजाद भारत के असली सितारे – 35 “हमारे समय का अनुपम आदमी”- प्रभाष जोशी ने अनुपम मिश्र के बारे में यही कहा था। उनके निधन पर वरिष्ठ पत्रकार ओम थानवी ने अपनी प्रतिक्रिया देते हुए उनका एक व्यक्ति-चित्र…
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चर्चा में
स्मृतिशेष : जीवन का अर्थ: अर्थमय जीवन
प्रसिद्ध पर्यावरणविद अनुपम मिश्र की आज पुण्यतिथि है। अनुपम मिश्र स्वयं संस्थावादी नहीं थे, यह कहना बेहतर होगा कि वे एनजीओ संस्कृति के खिलाफ थे। लेकिन उनके व्यक्तित्व का ही यह जादू था कि उनसे प्रभावित और दीक्षित होकर कई…
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