चुनावी राजनीति
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मुद्दा
दलितों को समझना होगा आर्थिक आन्दोलन के मायने – संजय रोकड़े
संजय रोकड़े भारत की सामाजिक संरचना में सबसे निचले पायदान पर जीवन बसर करने वाली अनुसूचित जाति के उत्थान के लिए अब तक किसी भी दल या सरकार ने ईमानदारी से काम नही किया है। अब तक जितनी…
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राजनीति
शिक्षकों को “कागभुशुण्डि” नहीं “जटायु” होना चाहिए – दीपक भास्कर
दीपक भास्कर रामायण, भारत के हिन्दू-धर्म से ज्यादा, भारत की राजनीति में महत्वपूर्ण है। राम-मंदिर विवाद ने भारत के आम नागरिकों के मुद्दे को लील लिया है। पिछले कई दशकों से, भारत की चुनावी-राजनीति बस इसी पर टिकी…
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