सबलोग
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Oct- 2020 -29 Octoberबिहार
बदलाव के मूड में आ रही है बिहार की जनता
. बिहार विधानसभा चुनाव का पहला चरण समाप्त हो चुका है। अब 3 नवम्बर के लिए दूसरे चरण के लिए प्रचार-प्रसार और तैयारी तेज हो गयी है। सभी दल के राष्ट्रीय नेताओं का दौरा निरन्तर जारी है। 71 सीटों के…
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10 Octoberप्रेस रिलीज़
‘ग्लोबल सिटीजन’ तैयार करेगी नयी शिक्षा नीति : प्रो. द्विवेदी
ब्यूरो ”नयी शिक्षा नीति विद्यार्थियों को अपनी परंपरा, संस्कृति और ज्ञान के आधार पर ‘ग्लोबल सिटीजन’ बनाते हुये उन्हें भारतीयता की जड़ों से जोड़े रखने पर आधारित है।” यह विचार भारतीय जन संचार संस्थान (आईआईएमसी) के महानिदेशक प्रो.…
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Jul- 2020 -9 Julyसमाज
बाज़ारवाद की हमजोली है- सुन्दरता
सलिल सरोज अमेरिका में अश्वेत नागरिक जॉर्ज फ्लाइड की मृत्यु के बाद से ही दुनियाभर में रंगभेद के खिलाफ आन्दोलन चल रहा है। ब्लैक लाइव मैटर के नाम से सेलिब्रिटीज से लेकर हर कोई इससे जुड़ रहा है।…
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8 Julyशख्सियत
सुशांत के लिए दो मिनट
गजेन्द्र पाठक क्रिकेट का मुरीद हूँ। हुनर से नहीं उसके बाजार से, उसकी लोकप्रियता से। ठीक से कहें तो उसका ककहरा भी अभी तक ठीक से समझ नहीं पाता, लेकिन गाँव में दूसरों को रेडियो पर कमेंट्री सुनते…
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Jun- 2020 -30 Juneस्मृति शेष
चितरंजन भाई हमेशा हमारे बीच जिन्दा रहेंगे
मोहन सिंह कन्धे पर लटकता झोला, गले में गमछा, कुछ ज्यादा ही पकी छोटी-छोटी हल्की दाढ़ी और हथेली पर मलते-पीटते खैनी के साथ चितरंजन भाई। देखने-सुनने में अति सहज चितरंजन भाई। दबे-कुचले लोगों की मजबूत आवाज चितरंजन भाई।…
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28 Juneमीडिया
बन्द होते अखबारों पर क्यों चुप है समाज?
विवेक आर्यन राज्य भर से लगातार पत्रकार मित्रों के फोन आ रहे हैं। कोई अपने लिए नौकरी तलाश रहा है और कोई दुकान के लिए जगह। कोरोना काल में कई हिन्दी और अंग्रेजी अखबारों के संस्करण बन्द होने के…
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27 Juneसप्रेस फीचर्स
विकास पर विमर्श की तरफ है, कोरोना का इशारा
कुमार प्रशांत सर्वव्यापी कोरोना वायरस हमें क्या सिखा सकता है? क्या उसकी ‘मेहरबानी’ से लगे ‘लॉकडाउन’ में बेहतर हुआ पर्यावरण, विकास की मौजूदा अवधारणा के लिए कोई संकेत देता है? क्या हम पिछले करीब तीन महीनों में हुई प्राकृतिक, मानवीय उथल-पुथल से कुछ सीख सकते हैं? प्रस्तुत…
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26 Juneसामयिक
प्रेम करने से पहले प्रेम को पढ़िए भी
सलिल सरोज “कौन सा गुनाह ? कैसा गुनाह ? किसी से जिन्दगी भर स्नेह रखने, प्रेम करने का गुनाह। स्नेह और प्रेम जब अपनी पराकाष्ठा पर पहुँचने लगे तो उसका त्याग करने का गुनाह। है ना अजीब बात!…
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23 Juneशख्सियत
जाति उन्हें अदृश्य बना देती है
यादवेन्द्र दक्षिण भारत के प्रख्यात शास्त्रीय गायक टी एम कृष्णा निरन्तर कर्नाटक संगीत में व्याप्त वर्ण व्यवस्था या यूं कहें कि ब्राह्मणवादी वर्चस्व पर चोट करते रहे हैं, उस पर सवाल उठाते रहे हैं। इसको लेकर उनकी पारम्परिक यथास्थितिवादियों…
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20 Juneसप्रेस फीचर्स
भारत की ओर लौटने का वक्त
सुरेन्द्रसिंह शेखावत कोरोना महामारी के दौर में भारतीय लोक-जीवन की अनेक बातें फिर से याद आने लगी हैं। कहा जाने लगा है कि भारतीय ग्रामीण जीवन पद्धति कोरोना जैसी व्याधियों से बचाने, मुक्त करवाने में कारगर हो सकती…
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