सबलोग
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Jun- 2020 -7 Juneएतिहासिक
7 जून, 1893 का वो दिन
राजीव कार्तिकेय 7 जून, 1893 का वो दिन जिसने तय किया कि दुनिया का इतिहास और भूगोल कोई भी बदल सकता है! बगावती एहसास का वह ठंडा क्रांतिकारी मुसाफिर जो अपनी जिन्दगी की खामोशियों को ज्यादा से ज्यादा…
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6 Juneमुद्दा
उत्तर-कोरोना काल में स्कूली शिक्षा की चुनौतियाँ
सर्वेश कुमार मौर्य आज हम जिस दौर में हैं, वह चुनौतियों से भरा दौर है. कोरोना वायरस ने हमारे समय, समाज और परिस्थितियों को आमूल-चूल बदल दिया है. पूरी दुनिया नए सिरे से हर एक प्रश्न, समस्या और…
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5 Juneचर्चा में
कोरोना, श्रमिकों की पस्त-हिम्मती और नागरिकता का सवाल
कुँवर प्रांजल सिंह आज के दौर को हम सिर्फ महामारी काल कहकर ही आगे नहीं बढ़ सकते। यह दौर लोकतन्त्र के क्रियाकलाप तथा नागरिकों के साथ होने वाले व्यवहारों के आकलन का भी यही समय है। लोकतन्त्र में…
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5 Juneचर्चा में
सर्जिकल मास्क या रेस्पिरेटर?
सहज सभरवाल दुनिया कोरोनावायरस के घातक संक्रमण से पीड़ित है। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने इस संक्रमण को महामारी घोषित किया है। इस घातक संक्रमण के शुरुआती लक्षण हैं तेज बुखार, सांस की तकलीफ, थकान और सूखी खाँसी। इसलिए,…
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5 Juneपर्यावरण
मानवीयता और संवैधानिक कर्तव्यों की तिलांजलि आख़िर क्यों?
विश्व पर्यावरण दिवस पर विशेष महेश तिवारी 5 जून 1974 को पहला विश्व पर्यावरण दिवस मनाया गया था। तदुपरांत से हर वर्ष 5 जून को विश्व पर्यावरण दिवस मनाया जाता है। इस वर्ष भी हम विश्व…
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3 Juneसामयिक
कितनी सजीव होती हैं प्रवासी महिला सहायिकाएँ
सलिल सरोज हर साल, महिलाओं सहित बड़ी संख्या में भारतीय नागरिक श्रमिक के रूप में, विदेशों में रोजगार के उद्देश्य से जाते हैं। विदेश मंत्रालय के अनुसार लगभग 3.91 लाख श्रमिकों ने 2017 में भारत से निर्वासन किया।…
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May- 2020 -30 Mayचर्चा में
शाकाहार, संस्कार और प्रकृति के साथ सरोकार की त्रयी
महेश तिवारी आज की परिस्थितियों पर बशीर बद्र की चंद पंक्तियाँ यर्थाथ लगती हैं, “फ़िर से ख़ुदा बनाएगा कोई नया जहाँ, दुनिया को यूँही मिटाएगी इक्कीसवीं सदी।।” जैसे ही 21वीं सदी की दुनिया को लॉकडाउन किया गया है।…
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29 Mayबिहार
बिहार देखने वाले की आँख में है…
गजेन्द्र पाठक विजय नाम्बिसन की इस किताब को जिन्होंने पढ़ा है उनसे भी और जिन्होंने नहीं पढ़ा है उनसे भी निवेदन है कि इस किताब में वर्णित जगहों और चरित्रों को उसी रूप में देखेंगे जिस तरह फिल्मों की शुरुआत…
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28 Mayचर्चा में
पलायन मजदूरों का या सरकारों का?
महेश तिवारी हमारे देश में संविधान को पवित्र पुस्तक का दर्जा दिया जाता है। यह वही संविधान है जिसकी प्रस्तावना शुरू होती है,- ” हम भारत के लोग, भारत को एक सम्पूर्ण प्रभुत्व सम्पन्न, समाजवादी, पंथनिरपेक्ष, लोकतन्त्रात्मक गणराज्य…
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28 Mayदेश
कोरोना काल और समाज
कीर्ति मल्लिक माना कि हाहाकार चहुदिक में मचा हुआ है! गन्दी राजनीति भी जोरों-शोरों से चल रही है! स्वार्थसिद्धि भी अपने चरम पर दिख रही है! मानवता भी धीरे धीरे मर रही है! मजबूर बाप पेट की पीड़ा,…
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