आयोजन

सांस्कृतिक विरासत को समर्पित ‘चक्रदार’ 

 

सांस्कृतिक संस्थानादऑराद्वारा आयोजित सांस्कृतिक संरक्षण एवं संवर्धन हेतु दिल्ली स्थित इंडिया इंटरनेशनल सेंटर के सी डी देशमुख सभागार में चक्रदार महोत्सवका भव्य आयोजन!

गत दिनों सांस्कृतिक संरक्षण, उन्नयन एवं संवर्धन हेतु संस्था ‘नादऑरा’ द्वारा भारत सरकार के संस्कृति मंत्रालय के सहयोग से दिल्ली स्थित इंडिया इंटरनेशनल सेंटर के सी डी देशमुख सभागार में भव्य “चक्रदार महोत्सव” का आयोजन किया गया।

विदित है कि सांस्कृतिक संरक्षण, उन्नयन एवं संवर्धन हेतु समर्पित संस्था ‘नादऑरा’ विगत 19 वर्षों से विभिन्न उत्सवों पर राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय महोत्सव का आयोजन करती आ रही है। जिसमें बनारस घराने के मूर्धन्य तबला सम्राट पंडित अनोखे लाल मिश्र जी एवं पंडित छोटेलाल मिश्र जी को संगीतमय श्रद्धांजलि प्राचीन विरासत को संरक्षित और लोकप्रिय बनाने के उद्देश्य से प्रतिबद्ध है। इस वर्ष नादऑरा द्वारा तीन महान विभूतियों की याद में चक्रदार महोत्सव का भव्य आयोजन किया गया। जिसमें विश्व विख्यात तबला वादक उस्ताद जाकिर हुसैन को संगीतमय श्रद्धांजलि भी दी गई।

संगीत के इतिहास में पहली बार अवनद्ध वाद्य पर यह ‘चक्रदार महोत्सव’ महान कलाकारों की स्मृति में ‘नादऑरा’ द्वारा पिछले कई वर्षों से आयोजित किया जा रहा है। इस महोत्सव की संकल्पना तबला एवं पखावज की पारम्परिक एवं दुर्लभ रचना का सम्मान करते हुए ‘चक्रदार’ के रूप में की गयी थी। वर्तमान में कोई भी कलाकार इससे अछूता नहीं रह सकता। इस आयोजन से न केवल तबला एवं पखावज की रचनाओं को विशेष बल प्राप्त हुआ है बल्कि विविध घराने की महत्ता एवं अपार प्रसिद्धि के साथ-साथ अनेक नई संभावनाएं एवं नई दिशा भी प्राप्त हुई है ! ‘चक्रदार महोत्सव’ में देश के गणमान्य कलाकारों ने इस मंच की शोभा बढ़ाई है, संस्था ने उन्हें सम्मानित भी किया है। वहीँ उदीयमान कलाकारों को संस्था ने मंच भी प्रदान किया है।

बनारस घराने के विश्वविख्यात तबला वादक पंडित संजू सहाय द्वारा प्रभावशाली तबला वादन साथ में हारमोनियम पर ललित सिसोदिया

इस महोत्सव में न केवल उत्तर भारतीय बनारस घराने के तबले की थाप ने महोत्सव को गुंजायमान किया, बल्कि दक्षिण भारतीय पारम्परिक कुचिपुड़ी नृत्य भी आकर्षण का विशेष आकर्षण केंद्र रहा। शास्त्रीय गायन और वायलिन के सुमधुर संगीत में श्रोताओं में अपार उत्साह देखा गया। श्रोतागण स्वर वर्षा और लय के सागर में आकण्ठ डुबकी लगाते रहे। महान गुरु की स्मृति को समर्पित इस महोत्सव में उनकी गाथाओं और कृतित्व पर पुस्तक का विमोचन भी संगीत प्रेमियों और शोधकर्ताओं के लिए एक नया आयाम एवं संभावनाएं दे गया। श्रोताओं में इस अद्भुत आयोजन को लेकर अत्यंत उत्साह देखा गया।

कार्यक्रम का उद्घाटन मुख्य अतिथि भारत सरकार के विदेश मंत्रालय एवं शिक्षा मंत्रालय के पूर्व राज्य मंत्री डॉ. राजकुमार रंजन सिंह ने दीप प्रज्वलित कर एवं महान विभूतियों के चित्र पर माल्यार्पण एवं पुष्प अर्पित कर किया। तत्पश्चात बनारस घराने के महान गुरु पंडित छोटेलाल मिश्र की स्मृति को समर्पित इस श्रद्धांजलि कार्यक्रम में उनके कार्यों पर डॉ. कुमार ऋषितोष द्वारा लिखित पुस्तक का विमोचन डॉ राजकुमार रंजन सिंह के कर कमलों से किया गया। इनके साथ बनारस घराने के चिंतक एवं लब्ध प्रतिष्ठित तबला वादक पंडित संजू सहाय एवं प्रकाशन के निदेशक एम.पी. मिश्रा भी उपस्थित थे।

डॉ. राजकुमार रंजन सिंह ने अपने उद्बोधन में कहा की नादऑरा संस्था द्वारा आयोजित महान गुरु की स्मृति में यह चक्रदार महोत्सव शास्त्रीय संगीत के लिए एक बहुत ही अच्छी पहल है। इससे हमें परंपरा के गुणों को संरक्षित करने और इसे आने वाली पीढ़ियों को विरासत के रूप में सौंपने का मार्ग प्रशस्त करेगा। डॉ कुमार ऋषितोष स्वयं एक उत्कृष्ट तबला वादक, शिक्षाविद, लेखक और संगीत चिंतक हैं नादऑरा के द्वारा ऐसे कार्यक्रमों के आयोजन हेतु निरंतर प्रयासरत रहते हैं। वे न केवल गुरु से प्राप्त ज्ञान को शिष्यों में निरंतर निखार रहे हैं, बल्कि आने वाली पीढ़ियों के लिए गुरु से प्राप्त ज्ञान को पुस्तक के रूप में संरक्षित कर संगीत समाज के लिए भी महान कार्य किया है।

विलक्षण बाल तबला कलाकार मास्टर प्रियतोष श्री तबले पर बनारस घराने की पारम्परिक चक्रदार प्रस्तुत करते हुए

प्रथम दिवस की संगीत संध्या का शुभारंभ सात वर्षीय विलक्षण बाल तबला कलाकार मास्टर प्रियतोष श्री ने अपनी नन्हे हाथों की थाप से पारम्परिक रचनाएं तीनताल में उठान, बांट, विभिन्न तिहाई के दर्जे, फरमाइशी चक्रदार, नवहक्का, गत – फर्द इत्यादि पूरे आत्म विश्वास के साथ प्रस्तुत कर माहौल को ऊर्जा से भर दिया। कठिन रचनाओं को अपने नन्ही उँगलियों से निकालने में सक्षम रहे मास्टर प्रियतोष, इतनी कम उम्र में लय पर उनकी पकड़ स्पष्ट रूप से देखी जा सकती है। उनकी तबला अदायगी ने दर्शकों से खूब तालियां बटोरी। इनके साथ सारंगी पर तनिश धौलपुरी ने अच्छी संगत प्रदान की।

प्रथम दिवस के प्रतीक्षित कार्यक्रम में बहुचर्चित तबला वादक पंडित संजू सहाय ने वादन का प्रारम्भ तीनताल में उठान और चाल से किया। तत्पश्चात आपने बनारस घराने की प्रसिद्ध बाँट ‘धीगे धीना तिरकिट धीना’, रेला टुकड़ा, परन, चक्रदार और लग्गी के सुमधुर एवं ओजस्वी तबले की थाप व अदभुत तैयारी के साथ ही बोलों का उचित वज़न निकास और स्पष्टता से बरबस श्रोताओं को अंत तक रस विभोर करने में मजबूर करते रहे। तबला में अनेक चक्रदार रचनाओं को बजाते हुए चक्रदार महोत्सव की सार्थकता को सिद्ध किया। आपके साथ हारमोनियम पर ललित सिसोदिया ने बेहतरीन संगत की।

कुचिपुड़ी नृत्य की पारम्परिक नृत्य कृष्णशब्दम में युक्था वैष्णवी का भावपूर्ण प्रदर्शन

संगीत संध्या के दूसरे दिन की पहली प्रस्तुति दक्षिण भारतीय युवा प्रतिभाशाली कुचिपुड़ी नृत्यांगना युक्था वैष्णवी के नृत्य से हुआ। युक्था अल्पायु में ही कुचिपुड़ी नृत्य की बारीकियों को विद्वान राजा राधा और कौशल्या रेड्डी से बहुत ही लगन के साथ अध्ययन और साधना की है। युक्था ने पारम्परिक नृत्य शैलियों कृष्णशब्दम और तरंगम में नृत्य कौशल के भावपूर्ण और प्रभावशाली प्रदर्शन से दर्शकों का मन मोह लिया। गुवाहाटी से आये ग्वालियर घराने के शास्त्रीय गायक डॉ प्रबल शर्मा ने अपने गायन का प्रारम्भ पूरिया कल्याण में बड़ा ख्याल और छोटे ख्याल से की, जो विलम्बित एकताल और तीनताल में निबद्ध थी। तत्पश्चात एक टप्पा और असाम के पारम्परिक लोक शिव भजन से अपने गायन का सामापन किया। मधुर आवाज के धनि डॉ शर्मा के गायन में स्वर लगाव और राग की सिलसिलेवार बढ़त विशेष प्रतिभा है। आपके साथ तबला पर डॉ कुमार एवं सारंगी पर घनश्याम सिसोदिया ने बेहतरीन संगत प्रदान की।

प्रख्यात वायलिन वादक पं. संतोष नाहर द्वारा राग ‘जोग’ में मधुर वादन

कार्यक्रम का अगला आकर्षण पं. डॉ संतोष नाहर का वायलिन वादन था। आपने अपने वादन की शुरुआत एकताल में निबद्ध राग जोग से की। आपके वादन में  गायन और तंत्र शैली का एक सुमधुर मेल देखने को मिलता है। रागों की प्रस्तुति में स्वरों की क्रमिक बढ़त के साथ-साथ आलापचारी, लयबद्ध स्वर विन्यास, गमक, आलंकारिक तानें आपके वादन की विशेष प्रतिभाएं हैं, जो श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर देती हैं। आपने अपनी प्रस्तुति में बिहार के कई पारम्परिक लोक संगीत को भी स्थान दिया जिसे काफी पसंद किया गया।  अंत में आपने मीरा की लोकप्रिय भजन पायोजी मैंने राम रतन धन पायो से समाप्त किया। आपके साथ फरुखाबाद घराने के तबला वादक देबाशीष अधिकारी ने कुशल संगत की।

कार्यक्रम में नादऑरा संस्था की ओर से बनारस घराने के सिद्धस्त तबला वादक व लन्दन निवासी पं. संजू सहाय को संगीत के क्षेत्र में उनके उत्कृष्ट योगदान के लिए ‘नाद शिरोमणि सम्मान 2025’ से सम्मानित किया गया और डॉ. संतोष नाहर को कला व शास्त्र पर विशेष कार्य के लिए ‘नाद वाचस्पति 2025’ सम्मान से भी सम्मानित किया गया।

कार्यक्रम का समापन बनारस घराने के प्रसिद्ध तबला वादक, लेखक एवं नादऑरा संस्था के अध्यक्ष डॉ. कुमार ऋषितोष के धन्यवाद ज्ञापन से हुआ। अपनी पुस्तक के विमोचन पर डॉ ऋषितोष ने कहा की गुरु शिष्य परम्परा के तहत जो भी पूज्य गुरुदेव के सानिध्य में संगीत शिक्षण का स्वर्णिम सुअवसर मुझे उनके स्वयं के रचना के रूप में प्राप्त हुआ है उसे अधिक से अधिक विद्यार्थियों  तक पहुंचा सकूं।  साथ ही उन्होंने महोत्सव के बारे में प्रकाश डालते हुए कहा की भारतीय संस्कृति में तीन का बहुत बड़ा महत्व है, जो अपने आप में दर्शन है। देखा जाय तो तिहाई का ही बड़ा और विकसित रूप चक्रदार है, जो साधारण चक्रदार, फरमाइशी चक्रदार, कमाली चक्रदार एवं नौहक्का में इस रचना का वृहत रूप देखने को मिलता है। वर्तमान समय में सांगीतिक प्रदर्शन में शायद ही कोई कलाकार चक्रदार से अछूता रहा हो I तंत्र वाद्य के कलाकार हो या गायन विधा के जाने अनजाने में इसका प्रयोग अवश्य करते हैं।

इस प्रकार तीन बार ‘धा’ रूपी भव्य प्रस्तुति के साथ त्रि दिवसीय चक्रदार महोत्सव की सफल तिहाई पूरे जोश एवं उत्साह के साथ सम्पन्न हुई। कुल मिलाकर इस त्रि-दिवसीय चक्रदार महोत्सव की खूबसूरत प्रस्तुतियों ने अपसंस्कृति के बरखिलाफ अपनी विरासत को बचाने, सहेजने और प्रस्तुत करने का जो नायाब व सराहनीय प्रयास किया, वह काबिल-ए-दाद और स्मरणीय बन गया, इसमें किंचित सन्देह नहीं

प्रस्तुति

आचार्य जागृति

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आचार्य जागृति

लेखिका कला समीक्षक, योग गुरु एवं कला संयोजक हैं। सम्पर्क- jagritisarita@gmail.com
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