reshma tripathi
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साहित्य
‘ना उम्मीदी के बीच’ कहानी में बाल विमर्श का अस्तित्व
“वर्तमान दौर विमर्शों का हैं उसमें फिर आदिवासी विमर्श हो या किन्नर विमर्श, स्त्री विमर्श हो या दलित विमर्श सभी पर साहित्य के माध्यम से खूब चर्चा, परिचर्चा, बहस चल रही हैं फिर बाल विमर्श अछूता क्यों रहें। बाल…
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साहित्य
वर्तमान कवि की कविता और दशा
“कविता समय के धड़कनों को प्रस्तुत करती है यही उनकी जीवन्तता भी होती है। समय से संवाद की अनुभूतियाँ अभिव्यक्त होकर कुछ पाने का हर्ष करती है, तो कुछ खोने का विषाद भी।” डॉ. बारेलाल जैन जी के इस…
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चर्चा में
कोरोना कथा
“एक समय की बात हैं पृथ्वी लोक में एक बार एक चीन नामक देश बहुत ही वैज्ञानिकता के आविष्कार में निपुण हो चला था, उसे अपने ज्ञान और धन पर अंहकार हो गया था। वह लोगों की अधिकतर जरूरतें…
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साहित्य
लोककथा और बाल साहित्य
लोककथा और बाल साहित्य दोनों ही एक दूसरे के पूरक हैं क्योंकि लोककथा का उद्भव बाल जीवन से ही आरम्भ हो जाता हैं। लोककथा लोगों द्वारा किए गए कार्यों को शब्द साहित्य द्वारा रेखांकित कर कहानी रूप में व्यक्त…
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