अजय तिवारी
-
प्रासंगिक
दक्षिणपन्थी छवि और विरोधाभास
‘कौन हैं भारतमाता’ का सवाल उठाते हुए नेहरू जी ने जब किसानों से कहा था कि असली भारतमाता तुम्ही लोग हो, तब वह स्वाधीनता आन्दोलन का समय था। यह प्रश्न और इसका उत्तर व्यक्ति के विचारधारात्मक रुझान पर निर्भर…
Read More » -
मुद्दा
आर्थिक प्रश्न और राजनीतिक नीति
आर्थिक प्रश्नों को राजनीतिक मुद्दा नहीं मानना चाहिए हालाँकि आर्थिक स्थिति को निर्धारित करने का निर्णय वे ही करते हैं; फिर भी राजनीतिक प्रणाली का निर्धारण आखिरकार आर्थिक वातावरण ही करता है। पूँजीवादी समाज व्यवस्था में आर्थिक नीति…
Read More » -
सामयिक
टाटा की विदाई और सामाजिक प्रतिक्रियाएँ
आखिर देश के अत्यन्त प्रमुख उद्योगपति रतन टाटा को मुंबई में अन्तिम विदाई दे दी गयी। किसी अखबार ने लिखा कि राष्ट्र द्वारा अनिम विदाई, किसी ने बताया राजकीय सम्मान के साथ अन्तयेष्टि, किसी ने कुछ और विशेषण…
Read More » -
अंतरराष्ट्रीय
अमेरिकी साजिश का एक और शिकार
आखिर बांग्लादेश में भी सीआईए की भूमिका सामने आने लगी। बांग्लादेश का निर्माण जनता की इच्छा और गुटनिरपेक्ष भारत की सक्रिय सहायता से 1971 में हुआ था। अमरीका और सीआईए इससे बहुत परेशान थे। लेकिन 1975 में बदनाम अमरीकी…
Read More » -
चर्चा में
दिशाहीनता काँग्रेस को ले डूबेगी
वर्तमान काँग्रेस में न आदर्श की प्रेरणा बची है, न संघर्ष की क्षमता। केंद्र में सत्ता-वापसी दूर खिसकती जा रही है और राज्यों में जनाधार सिकुड़ता जा रहा है। परिणामस्वरूप संगठन पर नेतृत्व का प्रभाव घट रहा है…
Read More » -
चर्चा में
शाहीनबाग, जाफराबाद और गाँधी
मैं 1970 में दिल्ली आया। पचास वर्षों में ऐसा पहली बार हो रहा है कि केन्द्र की सत्ताधारी सरकार के सीधे नियंत्रण में दिल्ली को हिंसा और तबाही के रास्ते पर ठेला जा रहा है। यह तटस्थ रहने का…
Read More » -
देशकाल
संघ की दंगाई योजना
पुरानी दिल्ली के हौज़ क़ाज़ी इलाक़े में मोटर साइकिल पार्क करने के मुद्दे पर मारपीट के बाद सांप्रदायिक तनाव पैदा हो गया था। कुछ बदमाशों ने एक मंदिर में तोड़फोड़ करके माहौल बिगाड़ने का आधार भी दे दिया। भाजपा…
Read More » -
देश
निजी क्षेत्र के हाथ में होगी केन्द्र सरकार?
पाँच सालों में केन्द्र सरकार में भर्तियाँ नहीं हुईं। अब यह हाल है कि सचिव, उपसचिव, निदेशक के पदों पर निजी क्षेत्र से 400 बड़े अधिकारी आयात किये जा रहे हैं। इसका एक मतलब यह भी है कि सरकार…
Read More » -
मुद्दा
आत्मनिरीक्षण का समय
राष्ट्रवाद की आँधी में केवल जाति-धर्म के समीकरण नहीं लड़खड़ाए, क्षेत्रीय हित भी गौण हो गए; सबसे बढ़कर रोज़गार के दिलफरेब गम भी ओझल हो गए| 18 से 22 साल के जो वोटर पहली बार मतदान कर रहे थे,…
Read More » -
राजनीति
संघ और गाँधी
यह मानने में न पहले किसी को हिचक थी, न अब है कि गाँधी-हत्या में आरएसएस की हिस्सेदारी थी। स्वयं संघ के लोगों का दैनन्दिन व्यवहार यह साबित करता रहा है। 30 और 31 जनवरी 1948 को संघ की…
Read More »