जमींदार
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मीडिया
भारत के राष्ट्रीय आन्दोलन में उर्दू पत्रकारिता का योगदान
पत्रकारिता जिसे उर्दू में सहाफत कहते हैं, लोकतन्त्र का चौथा सतून (स्तम्भ) कहलाता है जिसकी अपनी खास अहमियत है। यह एक ऐसा आईना है जिसके जरिए देश और समाज की खूबियों और कमियों को चिन्हित किया जाता है। उर्दू…
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एतिहासिक
स्वामी सहजानन्द सरस्वती : सन्यास से समाजवादी तक का सफर
पटना से 30 कि.मी पश्चिम बिहटा आजकल इन्डस्ट्रियल हब के रूप में परिणत होता जा रहा है। बिहटा के दक्षिण सड़क किनारे ही स्वामी सहजानन्द सरस्वती का ‘सीताराम आश्रम’ स्थित है। यहीं से उन्होंने देश भर के किसान आन्दोलन…
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Democracy4you
पिछड़ों की किसानी व कम्युनिस्ट धारा
पिछले अंक में पिछड़ी जाति की जमींदारी या सोशलिस्ट धारा पर बात हुई थी। इस धारा से आने वाले पिछड़ी जाति के बड़े-बड़े नेतागण किस प्रकार अंतर्कलह, विचारधारात्मक समझौते, सत्ताप्राप्ति के लिए हर किस्म के अनैतिक गठजोड़ का समर्थन…
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बिहार
जमींदारों की रणनीति है ‘भूमिहार’ पहचान पर जोर देना
(भाग 2) एक श्रेणी के बतौर ‘भूमिहारवाद’ या भूमिहार विरोध बिहार में स्वतन्त्रता प्राप्ति के बाद से ही प्रचलन में रहा है। जब आजादी के बाद श्रीकृष्ण सिंह बिहार के पहले मुख्यमन्त्री बने, उनके कार्यकाल को भी ‘‘भूमिहार…
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