
देश की राजधानी दिल्ली में प्रदूषण लगातार बढ़ता जा रहा है। आज मंगलवार सुबह भी कई जगहों पर औसत एयर क्वालिटी इंडेक्स(AQI) 341 दर्ज किया गया। वायु प्रदूषण के चलते लोगों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। इसी बीच सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले को लेकर एक बड़ा फैसला सुनाया और केंद्र सरकार को कड़े निर्देश दिए है। दिल्ली-एनसीआर में बढ़ते प्रदूषण को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा ? चलिए जानते है…
सुप्रीम कोर्ट ने सालभर GRAP प्रतिबंध लगाने से इनकार किया
दरअसल दिल्ली- एनसीआर में लगातार वायु प्रदूषण का स्तर खतरनाक बना हुआ है। ऐसे में बिगड़ती वायु गुणवत्ता को लेकर सुप्रीम कोर्ट में लंबे समय से चिंताएं उठ रही है। इसको लेकर कोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाया है। दिल्ली में खराब हवा और बढ़ते प्रदुषण पर सुनवाई के दौरान वरिष्ठ अधिवक्ता गोपाल शंकरनारायणन ने दलील दी थी कि दिल्ली एक ‘गैंस चेंबर’ में बदल चुकी है, इसलिए ग्रैप-1 के तहत जिन गतिविधियों पर प्रतिबंध लगाया जाता है, उन्हें पूरे साल बंद रखा जाना चाहिए।

लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने निर्माण कार्य पर साल भर प्रतिबंध लगाने से साफ इनकार कर दिया है। कोर्ट ने स्पष्ट कर दिया कि राजधानी दिल्ली में प्रदूषण से निपटने के लिए ग्रेडेड रिस्पॉन्स एक्शन प्लॉन (GRAP) को साल भर लागू नहीं किया जा सकता है। कोर्ट ने कहा कि सालभर निर्माण गतिविधियों पर बैन लगाने से लाखों मजदूरों की आजीविका प्रभावित होगी। इसलिए ऐसा कठोर कदम सही नहीं होगा। कोर्ट ने टिप्पणी की कि पर्यावरण और विकास के बीच संतुलन बनाए रखना जरूरी है। लेकिन केवल एक पक्ष को ध्यान में रखकर कोई भी आदेश नहीं दिया जा सकता। इससे बड़ी संख्या में लोग प्रभावित होंगे।
कोर्ट ने दिल्ली सरकार से मांगा हलफनामा
कोर्ट ने कहा ये मामला अस्थायी समाधान से नहीं सुलझेगा। ऐसे में हमें दीर्घकालिक समाधान के बारे में सोचना होगा। केंद्र को इस समस्या से निपटने के लिए दीर्घकालिक समाधान तैयार करने होंगे। कोर्ट ने केंद्र सरकार को पंजाब, हरियाणा, यूपी और राजस्थान सरकार से बैठक कर दीर्घकालिक समाधान पर सुझाव देने को कहा है। इसके लिए 1 दिन का समय दिया है। अब इस मामले में बुधवार, 19 नवंबर को सुनवाई होगी।

इसके साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली सरकार से राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI मापने) वाले उपकरणों की गुणवत्ता के बारे में हलफनामा दाखिल करने को कहा है। सुनवाई के दौरान पराली का मुद्दा भी उठाया गया। इस पर न्यायमित्र और वरिष्ठ अधिवक्ता अपराजिता सिंह ने कोर्ट में अपना पक्ष रखा।
उन्होनें बताया कि पराली जलाने की घटनाओं में इस बार कमी आई है लेकिन प्रदूषण फिर भी बढ़ा है। इस पर कोर्ट ने सवाल किया कि अगर पराली कम जलाई गई है तो हवा खराब क्यों हुई? पीठ ने कहा कि इसका मतलब है कि प्रदूषण के अन्य कारणों की जांच जरूरी है। अब इस मामले में बुधवार 19 नवंबर को सुनवाई होगी।
ग्रैप-1 के तहत किन चीजों पर होती है पांबदी ?
एयर पाल्यूशन बढ़ने के बाद GRAP – Graded Response Action Plan लागू किया जाता है। आमतौर पर ग्रैप-1 तब लागू किया जाता है, जब शहर का एक्यूआई 200 के पार पहुंच जाता है।
ग्रैप-1 लागू होने के बाद होटलों और रेस्तरां में कोयला और जलाऊ लकड़ी के उपयोग पर पूर्ण प्रतिबंध लगाया जाता। क्योंकि इससे निकलने वाले धुआं पर्यावरण को तेजी से प्रभावित करते हैं।
इसके अलावा पुराने पेट्रोल और डीजल वाहनों (BS-III पेट्रोल और BS-IV डीजल) परिचालन पर पूरी तरह से सख्ती लागू की जाती है। ग्रैप-1 के तहत इस तरह की कई पाबंदियां होती है। हालांकि इसका स्तर प्रारंभिक ही होता है।










