अशोक वाजपेयी
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साहित्य
‘सत्ता और संस्कृति’ के बहाने दुर्दशाग्रस्त हिन्दी साहित्य विभागों पर कटाक्ष
जब-जब लिखने से मन ऊब जाता है, तो मैं अपने पुस्तकालय से पुरानी पुस्तकें निकाल लेता हूँ, जिनके कुछेक अंश मैंने कभी यथावश्यकता पढ़े थे और फिर समय के साथ भूल भी गया। भूलने के लिए कुछ करने की आवश्यकता…
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