गजानन माधव मुक्तिबोध की कविता
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यत्र-तत्र
स्मारक में मुक्तिबोध
मुक्तिबोध की स्मृतियों को सँजोने के लिये राजनांदगाँव में 2005 में एक स्मारक बनाने की योजना पर तत्कालीन छत्तीसगढ़ सरकार ने महत्त्वपूर्ण पहल की। कलेक्टर की अगुवाई में एक समिति गठित हुई जिसमें मुक्तिबोध के मित्र शरद कोठारी, प्राध्यापक…
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साहित्य
फन्तासी का विराट सागर ‘अँधेरे में’
जिन्दगी के…/ कमरों में अँधेरे/ लगाता है चक्कर/ कोई एक लगातार ‘कोई एक’, है कौन? उसकी पहचान कैसे हो पाए, क्योंकि, आवाज पैरों की देती है सुनाई/ बार-बार —-बार-बार/ वह नहीं दीखता… नहीं ही दीखता/ किन्तु, वह रहा घूम….’…
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