सत्यदेव त्रिपाठी
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Jun- 2022 -15 Juneसृजनलोक
नाता ये कोई और है…
भाव-कथा काव्य मैं सेंध लगाकर उनके जीवन में घुस गयी थी और वे निकाल न सके थे मैं उन्हें अपने जीवन में खैंच लायी थी और वे निकल कर जा न सके थे… मैं उनकी रिश्वत बन…
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Feb- 2022 -7 Februaryसंगीतांजलि
‘मेरी आवाज़ ही पहचान है, ग़र याद रहे…’
छह फ़रवरी, 2022 की सुबह जब भारत की स्वर-साम्राज्ञी और पूरे देश की लता दीदी के अवसान की खबर आयी, तभी एक छात्रा (डॉ. सरिता उपाध्याय) के मेसेज ने अलग ही भाव-संयोग जोड़ा – वसंत पंचमी के अगले दिन…
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Dec- 2021 -10 Decemberचर्चा में
कंगना राणावत के सोच की जानिब से
मशहूर अभिनेत्री कंगना राणावत के बयान यूँ तो अक्सर आते रहते हैं, जिनके लिए वे काफ़ी विख्यात व कभी-कभार कुख्यात भी हैं…लेकिन बिना किसी का नाम लिए वॉलीवुड के हवाले से आया उनका बयान सामाजिक संदर्भों में काफ़ी मानीखेज…
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Oct- 2021 -14 Octoberशख्सियत
हम तुझे वली हैं समझे – गोकि बादाख़्वार है तू…!!
थिएटर के मरजीवा : अरुण पाण्डेय अरुण पांडेय अपने थिएटर-कर्म के 50 साल पूरे कर रहे हैं, सुनकर कैसा लग रहा है, के अपने जज़्बात को यदि मै शब्दों में उतारूँ, तो वह नग़्मात (कविता) की मदद के बिना…
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May- 2021 -2 Mayसिनेमा
‘कम्पनी लिमिटेड’ : कॉर्पोरेट बनता मनुष्य
दुनिया के महान फिल्मकार सत्यजित राय की बहुचर्चित बँगला फिल्म ‘कम्पनी लिमिटेड’ (1971) विख्यात कथाकार शंकर (मणि शंकर मुखर्जी) महोदय के उपन्यास ‘सीमाबद्ध’ पर बनी है और दोनो का ही केन्द्रीय कथ्य निर्विवाद रूप से है – कॉर्पोरेट जीवन…
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Oct- 2020 -12 Octoberचर्चा में
धोनी भी आख़िर हाड़-मांस के आदमी हैं…
महेन्द्रसिंह धोनी से जो लोग आज भी वैसे ही चौके-छक्के की उम्मीद करते हैं, जिनसे वे असम्भव जीत को सम्भव या निश्चित हार को जादुई जीत बना देते थे, उनके असीम भरोसे के भाव को समझा जा सकता है,…
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