सबलोग
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Jul- 2019 -23 Julyएतिहासिक
दास्तान-ए-दंगल सिंह (52)
पवन कुमार सिंह हमारी मंडली के साथी कोचिंग सेंटर को जमाने के लिए जीतोड़ मेहनत कर रहे थे। धीरे-धीरे आमदनी बढ़ने के साथ हम आत्मनिर्भर होते जा रहे थे। इसी बीच पाठक जी को गोड्डा कॉलेज से और…
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21 Julyहरियाणा
दोबारा सत्ता में आने की कोशिश में लगी हरियाणा सरकार – सोनू झा
सोनू झा हरियाणा इस वक्त चुनावी साल में है। मनोहर लाल बीजेपी को दोबारा सत्ता में लाने की पूरी मेहनत में जुटे हैं। जनता को चुनावी घोषणाओं को सौगात दी जा रही है। और कर्मचारियों भी तोहफे दिये…
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20 Julyमुद्दा
प्रयोगशाला में निर्मित नकली माँस का मसला – राजकुमार कुम्भज
राजकुमार कुम्भज क्या नकली माँस की मदद से जलवायु-परिवर्तन में मदद संभव हो सकती है? प्रश्न बड़ा और कठिन है, फिर भी इंसानी सभ्यता की ज़द से परे नहीं है। हमें यह जान लेने में ज़रा भी कठिनाई…
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20 Julyउत्तरप्रदेश
रक्तरंजित खनन : माफिया, पुलिस-नेता गठजोड़ – शिवम त्रिपाठी
शिवम त्रिपाठी प्रतिबन्ध के बावजूद गिट्टी और बालू लदान के गैर कानूनी धन्धे में अब हथियारबंद गुंडे-मवाली सीधे उतर आए हैं। रक्तरंजित हो चुके खनन के इस धन्धे में मारपीट से लेकर असलहे सटाकर खुलेआम रंगदारी तक वसूल…
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19 Julyमध्यप्रदेश
आदिवासी, दलित और अल्पसंख्यकों पर हिंसक हमले – शिवानी तनेजा
शिवानी तनेजा एक तरफ जहाँ देश ने भाजपा सरकार को ज़बरदस्त जनादेश दिया है, वहीं दूसरी ओर मध्य प्रदेश राज्य के गाँवों, कस्बों और शहरों में बीते वर्षों में बजरंग दल, शिव सेना, श्री राम सेना, कर्णी सेना…
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18 Julyमुद्दा
सेल्फी की सनक में गुम होती जिन्दगी – देवेन्द्रराज सुथार
देवेन्द्रराज सुथार आज इस उत्तर आधुनिकतावाद के दौर में जी रहे इन्सान की आत्म-मुग्धता चरम पर है। वैज्ञानिक एवं तकनीकी दक्षता से परिपूर्ण एवं अणु-परमाणु बमों से अपनी शक्ति आंकने वाला आधुनिक मनुष्य अपना वर्चस्व दिखाने का कोई भी मौका…
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18 Julyएतिहासिक
दास्तान -ए-दंगल सिंह (51)
पवन कुमार सिंह एमए के रिजल्ट के बाद पीजी होस्टल के हम लगभग डेढ़ दर्जन मित्रों ने सामूहिक निर्णय लिया कि अब अपने अभिभावकों से खर्चा-पानी नहीं लेंगे। खुद कुछ उपार्जित करने के लिए उद्यम करेंगे। कई दिनों…
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17 Julyआवरण कथा
हिन्दी रंगमंच व सिनेमा में समलैंगिकता के मुद्दे – अनिल शर्मा
अनिल शर्मा दृश्य-श्रव्य माध्यम होने के कारण रंगमंच और सिनेमा दोनों प्रभावकारिता को सघन बनाने में सक्षम है. इस रूप में ये दोनों माध्यम पिछले वर्षों से अस्तित्व के लिए संघर्ष कर रही तीसरी आबादी और समलैंगिकों की…
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17 Julyबिहार
बिहार की नियति है बाढ़ ! – सोनू झा
सोनू झा बिहार और बाढ़ का पुराना नाता है। हर साल बाढ़ आती है, सरकार पर सवाल उठते हैं। बाढ़ खत्म बात खत्म, सवाल खत्म, फिर इंतजार होता है अगले साल का। दो साल पहले 2017 में भी…
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16 Julyदेशकाल
मॉब लिंचिंग पर पक्षपाती रवैया – विश्वजीत राहा
विश्वजीत राहा इसी जुलाई महीने के पहले सप्ताह में भारत में बढ़ते मॉब लिंचिंग का मुद्दा अब संयुक्त राष्ट्र संघ तक पहुँच गया है। दक्षिण अफ्रीका की सेंटर फॉर अफ्रीका डेवलपमेंट एँड प्रोग्रेस नामक सामाजिक संस्था…
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