भूमंडलीकरण
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सामयिक
भूमंडलीकरण और सांस्कृतिक ग्राह्यता का प्रश्न: श्वेत एवं स्याह पक्ष
वर्तमान परिदृश्य (भूमंडलीकरण) में वैश्विक बाज़ार–व्यवस्था एवं सांस्कृतिक तादात्म्य के औचित्य–अनौचित्य के मुद्दे पर यदा–कदा यथाप्रसंग चर्चा–परिचर्चा होती रहती है। यदि यह कहा जाए कि वैश्विक बाज़ार–व्यवस्था ने भारत के समाजार्थिक एवं सांस्कृतिक पहलुओं को बहुत हद तक प्रभावित…
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आर्थिकी
नवउदारवाद का संकट
यह समय पुरानी राजनीति के टूटने और नई राजनीति के बनने का है। पुरानी संरचनाएं और सहमतियाँ टूट रही हैं। उनकी जगह बेहतर राजनीति नहीं ले पा रही है। इसलिए कुंठा, डर, हिंसा जैसे अहसास जनता पर ज्यादा तारी…
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