उत्तरप्रदेश

बुलडोजर को लेकर गरमायी सियासत 

 

उत्तर प्रदेश की राजनीति में एक बार फिर हलचल है। बुलडोजर की स्टेयरिंग के घुमाव, खासकर उसकी दिशा और दशा को लेकर सियासत तेज हुई है। सत्ता और विपक्ष दोनों के अपने-अपने निशाने हैं। इसी बहाने एक दूसरे के सियासी दुर्ग को ध्वस्त करने की जोरदार कोशिश चल रही है। यूपी में बाबा, बाबा का बुलडोजर और मकानों के ध्वस्तीकरण को लेकर राजनीति ने यहाँ नई परिभाषा गढ़ी है। इसे आसानीपूर्वक इस बात से भी समझा जा सकता है कि पिछले विधानसभा चुनाव में दूसरी बार जब भाजपा प्रदेश की सत्ता में आई तो जगह जगह निकाले गए विजय जुलूस में भारी संख्या में बुलडोजर भी शामिल किए गये थे। देश से लेकर विदेश तक यूपी, यूपी की सत्ता और यहाँ के मुख्यमन्त्री योगी आदित्यनाथ की चर्चा जब भी चलती है तो बाबा का बुलडोजर चर्चा में जरूर शामिल रहता है। बहरहाल, पिछले महीने भर से बुलडोजर को लेकर सियासत एक बार फिर गरमाई है। इसकी तपिश से निकली चिंगारी का भी असर सियासी फिजाओं में फैला हुआ देखा जा रहा है।

अपने कड़क मिजाज को लेकर आमजन के बीच कड़े एक्शन लेने की पहचान रखने वाले मुख्यमन्त्री योगी आदित्यनाथ राज्य के बाहुबली माफिया और बड़े अपराधियों पर सख्त एक्शन लेने के लिए अभी भी बुलडोजर की कार्रवाई को लेकर अड़े हुए दिख रहे हैं तो विपक्षी दल बुलडोजर नीति को लेकर राज्य सरकार पर हमलावर नजर आ रहा है। इस मामले में सरकार की घेरेबंदी करते हुए विपक्ष लामबंद भी दिख रहा है।

बुलडोजर को लेकर मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचा तो पिछले दिनों सुप्रीम कोर्ट ने एक टिप्पणी कर दी। इसके बाद बुलडोजर और मकानों के ध्वस्तीकरण का मुद्दा गरमा गया। तीन सितम्बर को लखनऊ पार्टी कार्यालय में कार्यकर्ता बैठक में समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव ने मुख्यमन्त्री योगी आदित्यनाथ पर कटाक्ष करते हुए कहा कि 2027 के बाद सारे बुलडोजर गोरखपुर की तरफ मोड़ दिए जाएंगे। उन्होंने यह भी कहा कि भाजपा को जनता नकार रही है। 2027 में हमारी सरकार बन जाएगी तो सारे बुलडोजर का रुख गोरखपुर की ओर मोड़ दिया जाएगा। उधर, प्रयागराज में मुख्यमन्त्री योगी आदित्यनाथ ने एक सभा में विपक्ष के नेता अखिलेश यादव पर पलटवार करते हुए कहा कि माफियाओं के आगे घुटने टेकने वाले लोग उनके खिलाफ कड़ा एक्शन नहीं ले सकते, इसके लिए साहस और कार्रवाई की स्पष्ट नीति की जरूरत पड़ती है। सिलसिला यहीं नहीं थमा।

सपा मुखिया अखिलेश यादव ने फिर पलटवार किया। एक सार्वजनिक मंच से उन्होंने ललकारा कि अगर बुलडोजर इतना ही सफल है तो योगी आदित्यनाथ अलग पार्टी बनाएं और चुनाव निशान बुलडोजर रखकर चुनाव लड़ जाएं, उनका भ्रम और घमंड दोनों ही टूट जाएगा।

भारतीय जनता पार्टी के पूर्व विधायक प्रभाशंकर पांडेय सवाल उठाते हैं कि आखिर अखिलेश यादव को बुलडोजर से इतनी तकलीफ क्यों हो रही है? विपक्ष की राजनीति करने का यह मतलब तो नहीं कि सरकार के हर कार्य का आँख मूंदकर विरोध ही किया जाए और लगातार उल्टा सीधा ही बोला जाए। प्रधानमन्त्री नरेंद्र मोदी की संसदीय सीट के प्रभारी रह चुके भाजपा नेता श्री पांडेय कहते हैं कि विपक्ष को स्वस्थ राजनीति करने के बारे में सोचना चाहिए। हरदोई के वरिष्ठ पत्रकार देवीदीन यादव कहते हैं-  महज चुनाव जीतने के लिए विपक्षी नेता इसे मुद्दा बना रहे हैं। लोकसभा चुनाव में विपक्ष को ताकत मिलने के बाद उत्तर प्रदेश में वह बार बार सरकार को घेरती नजर आ रही है, जबकि इसके पहले विपक्षी दल इतने ज्यादा सक्रिय नहीं थे। समाजसेवी अनुपम मिश्र कहते हैं कि दस सीटों पर उप चुनाव को देखते हुए समाजवादी पार्टी के अखिलेश यादव हों या कांग्रेस के राहुल गांधी, दोनों ने तेजी पकड़ी है।

बहरहाल, इनदिनों उत्तर प्रदेश में बुलडोजर पर सियासत तेज है। इसी बहाने बुलडोजर बाबा के नाम से प्रसिद्ध मुख्यमन्त्री योगी आदित्यनाथ एक बार फिर चर्चा के केन्द्र में आ गए हैं। सत्ता पक्ष और विपक्ष दोनों के बीच तीखी तकरार छिड़ी हुई है।

वरिष्ठ पत्रकार विनोद अग्निहोत्री ने पिछले दिनों एक डिबेट में साफ तौर पर कहा कि बुलडोजर का मुद्दा राजनीति में एक हथियार के तौर पर प्रयोग किया जा रहा है। उन्होंने स्पष्ट किया कि बुलडोजर को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने जो टिप्पणी की, उसके बाद यह चर्चा में कुछ ज्यादा ही आ गया है। पूर्व मुख्यमन्त्री अखिलेश यादव इसके खिलाफ भाजपा सरकार खासकर योगी आदित्यनाथ की घेराबंदी में जुट गए हैं तो मौजूदा मुख्यमन्त्री योगी आदित्यनाथ बड़े अपराधियों खासकर माफियाओं पर नकेल लगाने की बात कर रहे हैं।

चर्चा छिड़ने पर वरिष्ठ पत्रकार रतिभान त्रिपाठी कहते हैं- बुलडोजर को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने फैसला नहीं सुनाया, सिर्फ टिप्पणी की है। वो स्पष्ट करते हैं कि निर्णय और टिप्पणी दो अलग अलग प्रक्रिया है। सुप्रीम कोर्ट ने कोई रोक नहीं लगाया बल्कि टिप्पणी कर अपनी राय दी है। फैसले और टिप्पणी में काफी फर्क होता है। इलाहाबाद हाई कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता नरेन श्रीवास्तव कहते हैं- पेशेवर अपराधी, जिनके खिलाफ सामान्य लोग शिकायत तक करने में डरते हैं, उन पर कड़ा और प्रभावी एक्शन उन बड़े अपराधियों पर अंकुश लगाने की कोशिश है। इलाहाबाद हाई कोर्ट के अपर मुख्य स्थायी अधिवक्ता रवि शंकर पाण्डेय बताते हैं- इसी उत्तर प्रदेश में सैकड़ों बाहुबली माफियाओं की मौजूदगी थी, इनके संगठित गिरोहों की जबरदस्त नेटवर्किंग हुआ करती थी। शासन प्रशासन से लेकर सरकारों के बीच तक वे मजबूत पकड़ रखते थे। हालात इस कदर बिगड़ चुके थे कि बड़े नेता और अफसर सुबह-शाम उनके यहाँ दरबार लगाने को मजबूर होते थे। इतना ही नहीं, आमजन में दहशत और सरकार में उनकी मजबूत पकड़ होने से जिले के बड़े अफसर तक कार्रवाई करने में डरते थे , अक्सर एक्शन लेने वाले अफसरों को दंडित तक होना पड़ता था, ऐसी गलत परंपरा को योगी आदित्यनाथ ने तोड़ने का कार्य किया है।

प्रयागराज के दहियावां निवासी सोशल वर्कर अमित शुक्ला भी इसी से मिलते जुलते तर्क देते हैं- बेलगाम हो चुके पेशेवर बाहुबली और संगठित गिरोह चलाने वाले सैकड़ों माफिया पर्याप्त दहशत फैलाए हुए थे, इनकी समानांतर हुकूमत चलती थी। खुलेआम सांसद, विधायक, मंत्रियों तक का इनके ऊपर वरदहस्त रहता था। मुख्यमन्त्री योगी आदित्यनाथ ने संगठित गिरोह चलाने वाले ऐसे माफियाओं की कमर तोड़कर आमजन को राहत दी है। कानून से खुद को ऊपर समझने वाले बड़े बड़े डॉन जिनके आगे कानून, अफसर, सत्ता से जुड़े लोग कल तक पानी भरते नजर आते थे, आज वो गले में तख्ती डालकर खुद थाने में आत्मसमर्पण करते दिख रहे हैं। यह बड़ा बदलाव है। अमित शुक्ला के बगल खड़े शिक्षक नेता शैलेंद्र सिंह इस पर सहमति जाहिर करते हुए इसे कानून और शासन के इकबाल की संज्ञा देते हैं। शैलेंद्र सिंह कहते हैं कि दंगा-बलवा के नाम पर समूची बस्ती और टोला फूंक दिये जाते थे। व्यापारियों से हफ्ता-रंगदारी वसूली पर कोई कार्रवाई नहीं होती थी। भुक्तभोगी थाने जाने, कोर्ट में गवाही देने तक से डरते थे, पर अब ऐसा नहीं है। योगी आदित्यनाथ का बुलडोजर एक्शन आम जनता को खूब रास आ रहा है।

‘सबलोग’ के इस सवाल पर कि जब जनता को इतना ही रास आ रहा है तो लोकसभा चुनाव में उन्होंने भाजपा को तगड़ा झटका क्यों दे दिया? इस पर पत्रकार विजय पांडेय बेलाग टिप्पणी करते हैं- “चुनाव में भाजपा की मनमानी ने उसे यूपी में ये दिन दिखाया।” फिलहाल, विधानसभा का आम चुनाव तो अभी दूर है पर दस सीटों पर होने वाला चुनाव नजदीक है उसी को लेकर यहाँ सियासत गरमायी है। इसमें बाबा का बुलडोजर, जातीय जनगणना, जाति देखकर पुलिस इनकाउंटर तक मुद्दे बने हुए हैं

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शिवा शंकर पाण्डेय

लेखक सबलोग के उत्तरप्रदेश ब्यूरोचीफ और नेशनल फेडरेशन ऑफ जर्नलिस्ट आथर एंड मीडिया के प्रदेश महामंत्री हैं। +918840338705, shivas_pandey@rediffmail.com
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