देव प्रकाश चौधरी
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Jan- 2022 -18 Januaryश्रद्धांजलि
…टूटे घुंघरुओं को जोड़ने अब नहीं लौटेंगे महाराज
ताल का लय के साथ एक रिश्ता टूट गया। नाद के तमाशे थोड़ी देर के लिए तो जरूर ठहर गए हैं। कथक सम्राट बिरजू महाराज का जाना, छंद के उस पुलिंदे का बिखर-सा जाना है, जो हमेशा हमें और हमारी…
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Nov- 2021 -3 Novemberविशेष
अंधेरे में सूर्य को याद करने का एक तरीका है दीया
हमारे पास रोशनी है तो हम अपना बसंत पहचान सकते हैं। हमारे पास रोशनी है तो हम जिंदगी में बहुत देर पतझर के साथ नहीं रह सकते। रोशनी जिंदगी में निरंतरता का प्रतीक है। कहीं किसी कोने पर जलते…
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Oct- 2021 -8 Octoberविशेष
आंखें अभ्यस्त हो तो कला है!
21 वीं शताब्दी के इन शुरुआती वर्षों में अगर समकालीन भारतीय कला की बात करें तो सबसे पहले खुद पर शक का एक सवाल खड़ा होता है- “क्या हमने देखना और देखने पर संदेह करना कम कर दिया है?”…
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Apr- 2021 -27 Aprilलोहे की न लोहार की
गुजरी जी को कैसे मिला ऑक्सीजन!
आज फिर फोन आया। गाँव से गुजरीजी फोन पर थे। उन्होंने कहा, “लगता है गाँव में ऑक्सीजन की कमी हो गयी है।” मुझे हैरानी हुई, “ऐसा कैसे हो सकता है?” हताश स्वर में गुजरीजी बोले, “सब कह रहे हैं, पिछले…
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16 Aprilलोहे की न लोहार की
शहतूत पाने के लिए उछलना पड़ता है!
अद्भुत दृश्य था। वे उछल रहे थे। मैंने उनसे पूछा-“आप इस उम्र में भी ऐसा कैसे उछल सकते हैं?” जवाब में उन्होंने सिर्फ नौ शब्द कहे-“ यही हाल रहा तो मैं क्या, सारा देश उछलेगा?” अपने यहाँ बात समझ में न…
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Apr- 2020 -22 Aprilव्यंग्य
जब घर पर रहता है कवि
कई बार अब मुझे लगने लगा है कि इस असार संसार में हमारा जन्म फेसबुक पर फुदकने के लिए हुआ है। संतों के लिए जो संसार कभी कागज की पुड़िया थी, बूंद पड़े घुल जाना था, कोरोना काल में…
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