- सोनू झा
इनेलो विधायक हरिचंद मिड्ढा के निधन के बाद खाली हुई जींद विधानसभा सीट पर चुनावी बिगुल बज चुका है, जींद की जंग में इस बार चार मुख्य पार्टियां आमने सामने हैं, जिसमें जन नायक जनता पार्टी फिलहाल नई है लेकिन दिग्गज पार्टियों को कड़ी टक्कर देने की तैयारी में है। पांच निगमों में जीत के बाद बीजेपी उत्साहित है। वहीं कांग्रेस और इनेलो के अपने अपने दावे हैं। इन सबके बीच जींद में अपनी पहली रैली में 8 लाख लोगों को जुटाने का दावा करने वाली जन नायक जनता पार्टी एकतरफा जीत का दावा कर रही है।
हालांकि जींद चुनाव में उम्मीदवार पर पशोपेश हर पार्टी में दिखी। कांग्रेस के बिखरे कुनबे, बीजेपी में अगल अलग राय, और इनेलो में उम्मीदवार की तलाश काफी देर तक चलती रही। 10 जनवरी को नामांकन की आखिरी तारीख तक पार्टियां वेट एंड वॉच की स्थिति में दिखी। उससे पहले मांगे राम गुप्ता के दरवाजे पर भी सभी पार्टियों के नेताओं ने दस्तक दी। उसके बाद बीजेपी ने सबसे पहले बड़ा दांव खेला, दिवंगत पूर्व विधायक हरिचंद मिड्ढा के बेटे को जींद की जंग में अपने योद्धा के तौर पर उतार दिया।
कांग्रेस के पास असमंजस की स्थिति लगातार बनी रही, 6 जनवरी को कांग्रेस के चुनाव पर्यवेक्षक केसी वेणुगोपाल पहली बार जींद उपचुनाव के मुद्दे पर हरियाणा कांग्रेस के बड़े नेताओं को दिल्ली बुलाया। उम्मीदवार पर मंथन करने से पहले वेणुगोपाल के पास हरियाणा में बिखड़े कांग्रेस के कुनबे को एक करने की चुनौती थी। लेकिन पहली ही बैठक में सभी नेता वेणुगोपाल के पीछे खड़े दिखाए दिए भले ही मनभेद अंदर हो लेकर मतभेद से परे दिखे। बावजूद इसके भी 6 जनवरी को उम्मीदवार पर बात नहीं बनीं। 9 जनवरी को दोबारा कांग्रेस सुबह 10 बजे जीआरजी स्थित कांग्रेस के वार रूम में बैठक के लिए बैठ गई। पहले दौर के मैराथन मंथन में बात नहीं बनीं। दूसरे दौर के मंथन के बाद रात करीब 12 बजे रणदीप सुरजेवाला को कांग्रेस ने जींद के रण में उतार कर सियासी पारा बढ़ा दिया।
नामांकन के आखिरी दिन चाचा और भतीजे की अलग अलग हो चुकी पार्टियों ने अपने उम्मीदवार के नाम का ऐलान किया। जन नायक जनता पार्टी ने अपने छोटे पुरोधा दिग्विजय सिंह चौटाला को मैदान में उतारा तो इनेलो ने उमेद रेढू पर दांव खेला।
हालांकि इस बार बीजेपी से सांसद रहने के बावजूद अपनी नई पार्टी बनाकर जींद के मैदान में सांसद राजकुमार सैनी विनोद आशरी पर दांव खेला है।
सीएम मनोहर लाल ने कहा; ‘इस समय विपक्ष के तीनों दलों में होड़ लगी है कि इस सारे संघर्ष में अपना स्थान ऐसा बना पाएं कि नंबर 2, 3 और 4 की लड़ाई में खुद को साबित कर सके। इसलिए उनमें भारी-भरकम एक दूसरे से उम्मीदवार उतारने की बात आई हुई है। उन लोगों के लिए यह भारी संकट है कि हरियाणा में कौन मजबूत विपक्ष बने’
नामांकन के आखिरी दिन 10 जनवरी को जींद में सियासत का एक अलग रंग देखने को मिला। चाचा अभय चौटाला जिनसे छत्तीस का सियासी आंकड़ा दुष्यंत और दिग्विजय के साथ है, जब सामने आये तो एक ने नमस्कार किया तो दूसरे ने आशीर्वाद दिया। कांग्रेस का बिखरा कुनबा भी सुरजेवाला के साथ नामांकन के लिए पीछे खड़ा दिखाई दिया। लेकिन नामांकन दफ्तर से बाहर पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा और कैबिनेट मंत्री रामबिलास शर्मा की हंसी ठिठोली और गला मिलन सुर्खियां बटोरती रही। दरअसल सुरजेवाला को उम्मीदवार बनाने पर रामबिलास शर्मा ने कटाक्ष करते हुए हुड्डा से कहा ‘आपका एक कांटा निकल गया’, तो हुड्डा ने भी हंसते हंसते उसका जवाब दिया; ‘ आपका कांटा तो तब निकलेगा जब खट्टर की छुट्टी आप करा दो’
कांग्रेस पर निशाना साधते हुए सीएम मनोहर लाल ने कहा ‘बाई इलेक्शन में एक विधायक को उतारना उनकी हताशा बताती है, कांग्रेस के पास कोई ऐसा कैंडिडेट नहीं था जो जींद से हमारे खिलाफ खड़ा हो सके, इनके अंदर आपस में भी कई द्वंद थे’।
हरियाणा की विरासत में अगल पहचान रखने वाला जिला जींद, जिसकी पहचान ना सिर्फ सियासत के लिए मानी जाती है बल्कि जींद से जुड़े तमाम ऐतिहासिक और धार्मिक मान्यताएं भी है। महाभारत से लेकर वामन पुराण, नारद पुराण और पद्म पुराण में भी जीन्द का उल्लेख मिलता है। यह कहा जाता है कि महाभारत काल में पांडवों ने यहां पर विजय की देवी जयंती देवी के मन्दिर का निर्माण किया था।
हरियाणा के गठन के साथ साल 1967 में जब पहला चुनाव हुआ तो जींद की इस जंग में कई उम्मीदवारों ने दांव आजमाया लेकिन उस समय मुख्य दल सिर्फ कांग्रेस ही थी। और जीत भी कांग्रेस को ही मिली थी। उस समय भी जातीय समीकरण जींद की सियासत का केंद्र था, उस समय जींद विधानसभा पर जाटों की ही बहुलता थी लेकिन समय के साथ आज जींद में सियासत का जातीय गणित बदल चुका है। आज जींद में ओबीसी, बनिया, ब्राह्मण, पंजाबी सभी प्रमुख जातियों के रूप में हैं।
मौजूदा हालात की बात करें तो इस वक्त जींद विधानसभा में कुल 1 लाख 70 हजार मतदाता है। जाट – 45 हजार, एससी-38 हजार, ओबीसी- 46 हजार, पंजाबी- 12 हजार। हालांकि जींद की सियासी समीकरण से जाट लैंट का टैग तो हट चुका है लेकिन अभी भी जाटों की बहुलता इस सीट पर सियासी समीकरण का खेल बिगाड़ और बना सकता है !
हालांकि उस समय जनसंख्या भी कम थी और वोटर भी कम थे, और चुनाव में जीत हार का फैसला भी कम वोटों से ही होता था। आप चौक जाएंगे…इसबार निगम चुनाव में जितने वोटों से मेयर जीते हैं उतने वोट पूरे जींद विधानसभा में 1967 में नहीं पड़े थे। 1967 में जीतने वाले उम्मीदवार डी किशन को महज 26 हजार 89 वोट मिले थे, और जीत हार का अंतर महज 10 हजार 548 मतों का था। इस बार पानीपत निगम चुनाव में मेयर अवनीत कौर की जीत करीब 75 हजार वोटों से हुई है।
(टेबल)
‘जींद की जंग’ का इतिहास
1967 डी किशन कांग्रेस
1968 दया कृष्ण कांग्रेस
1972 दल सिंह NCO
1977 मांगेराम गुप्ता निर्दलीय
1982 बृजमोहन LKD
1987 परमानंद LKD
1991 मांगेराम गुप्ता कांग्रेस
1996 बृजमोहन HVP
2000 मांगेराम गुप्ता कांग्रेस
2005 मांगेराम गुप्ता कांग्रेस
2009 हरिचंद मिड्ढा इनेलो
2014 हरिचंद मिड्ढा इनेलो
ये हैं चुनावी शेड्यूल
10 जनवरी को नामांकन की आखिरी तारीख। 11 जनवरी को स्क्रूटनी। 14 जनवरी नामांकन वापिस लेने की तारीख। 28 जनवरी को चुनाव होगा। 31 जनवरी को नतीजे घोषित होंगे।
क्या है प्रशासनिक तैयारी ?
जींद विधानसभा क्षेत्र में कुल 158 मतदान केन्द्र है। इनके अलावा मतदाताओं की सुविधा के लिए 6 सहायक मतदान केन्द्र भी स्थापित किये गये हैं। कुल मतदान केन्द्रों में से 26 अति संवेदनशील और 12 मतदान केन्द्र संवेदनशील बूथ तय किये गए हैं।
अति संवेदनशील मतदान केन्द्रों की सूची
खेड़ी तलोड़ा गांव के बूथ नंबर 4, कण्डेला गांव के बूथ नम्बर 13, 15,16, हैबतपूर गांव के बूथ नम्बर 24, 25, निर्जन गांव के बूथ नम्बर 33,34 तथा 35, पिण्डारी गांव के बूथ नम्बर 36 तथा 37, जाजवान गांव के बूथ नम्बर 151, 153, जींद शहर के बूथ नम्बर 38,43, 46,49,5०,63,64,66,67,84,85,107 और 112
संवेदनशील मतदान केन्द्रों सूची
कैरखेड़ी गांव के बूथ नम्बर 21, संगतपूरा गांव के बूथ नम्बर 148 और 149, बरसोला गांव के बूथ नम्बर 135 तथा 136, जींद शहर के बूथ नम्बर 77, 78, 83,87,88, 105 और 106 ।
जींद के इस जंग में कौन जीतेगा कौन हारेगा इसका फैसला तो जनता करेगी, लेकिन जींद के सियासी संग्राम को सभी पार्टियां सत्ता के सेमीफाइनल के तौर पर देख रही है। लोकसभा और विधानसभा चुनाव से ठीक पहले इस चुनाव को जीतना सभी पार्टियों के लिए नाक सवाल है । हालांकि बीजेपी निगम चुनाव में हुई जीत पर उत्साहित है। अब तमाम दावों के बीच जींद की जनता किसका राजतिलक करेगी ये 31 जनवरी को पता चलेगा।
लेखक टीवी पत्रकार हैं|
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