
बिहार विधानसभा चुनाव में महागठबंधन की सबसे बड़ी पार्टी माने जाने वाली राष्ट्रीय जनता दल (राजद) को करारी हार का सामना करना पड़ा। ‘मुख्यमंत्री’ बनने का सपना लेकर चुनाव के मैदान में उतरे तेजस्वी यादव की पार्टी राजद सिर्फ 25 सीटों पर ही सिमट कर रह गई।
इसी बीच आज सोमवार को आरजेडी ने विधायक दल की बैठक बुलाई। जिसमें तेजस्वी यादव को बिहार विधानसभा में विपक्ष का नेता चुना गया है। तेजस्वी के पोलो रोड स्थित सरकारी आवास पर करीब 4 घंटे तक चली इस बैठक में चुनाव में हुई हार की समीक्षा भी की गई।

बैठक में तेजस्वी यादव, आरजेडी सुप्रीमो लालू प्रसाद, राबड़ी देवी, मीसा भारती, पूर्व प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद, बाहुबली नेता सूरजभान सिंह समेत सभी सीनियर नेता मौजूद रहे। इसके अलावा इस बैठक में चुनाव में जीतने और हारने वाले विधायकों को बुलाया गया था। इस दौरान सभी विधायकों ने तेजस्वी यादव के नेतृत्व पर पूर्ण भरोसा जताते हुए उन्हें नेता प्रतिपक्ष चुना है।
2 सीट से बची नेता विपक्ष की कुर्सी
बता दें कि इस बार बिहार विधानसभा चुनाव में एनडीए ने 243 में से 202 सीटों पर जीत हासिल की। वहीं महागठबंधन की सबसे बड़ी पार्टी आरजेडी को सिर्फ 25 सीटे ही मिली है। ऐसे में सवाल ये है कि सिर्फ 25 सीटे जीतने के बाद तेजस्वी यादव नेता प्रतिपक्ष कैसे बने ? तो चलिए इसके बारे में जानते हैं।

243 सीटों की विधानसभा में मुख्य विपक्षी दल का दर्जा पाने के लिए पार्टी के 10 फीसदी विधायक होने चाहिए, यानी 24 सीटें। अगर आरजेडी को 23 सीटें मिलती तो राजद को मुख्य विपक्षी दल और तेजस्वी को नेता विपक्ष का दर्जा भी नहीं मिलता। लेकिन इस चुनाव में आरजेडी ने कुल 25 सीटों पर जीत हासिल की है, जिसके बाद तेजस्वी यादव को नेता प्रतिपक्ष चुना गया है। नेता विपक्ष को कैबिनेट मंत्री के रैंक का दर्जा और सुविधाएं मिलती हैं।
किक्रेट छोड़ राजनीति में रखा कदम
वहीं तेजस्वी यादव के राजनीतिक सफर के बारें में बात करें तो वह नेता प्रतिपक्ष के अलावा बिहार के सबसे युवा उप मुख्यमंत्री भी रह चुके हैं। बिहार की पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव के बेटे तेजस्वी यादव ने एक क्रिकेटर के रूप में अपने करियर की शुरुआत की थी। लेकिन बाद में उन्होनें किक्रेट से संन्यास ले लिया था और राजनीति में कदम रखा। साल 2013 में तेजस्वी यादव ने किक्रेट को अलविदा कहा और राजनीति में आने का फैसला कर लिया।
नीतीश कुमार सरकार में डिप्टी सीएम बने
इसके बाद साल 2015 में हुए बिहार विधानसभा चुनाव में उन्होनें राघोपुर सीट से पहली बार चुनाव लड़ा और वह जीत गए। तब नीतीश कुमार और लालू यादव ने मिलकर विधानसभा चुनाव लड़ा था। चुनाव में इसी गठबंधन को जीत मिली। जिसके बाद तेजस्वी यादव 26 साल की उम्र में बिहार के उप मुख्यमंत्री बने और उन्होनें सार्वजनिक निर्माण, वानिकी व पर्यावरण मंत्रालय की जिम्मेदारी संभाली।

लेकिन दो साल भी नहीं हुए थे कि नीतीश कुमार बीजेपी के साथ चले गए और तेजस्वी को 16 महीने बाद उपमुख्यमंत्री की कुर्सी छोड़नी पड़ी। उसके बाद वो विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष बने। 2020 में तेजस्वी ने राघोपुर सीट से ही चुनाव लड़ा और वह जीते थे।
2020 में आरजेडी ने जीती थी 75 सीटें
वहीं इस साल बिहार विधानसभा चुनाव में आरजेडी का प्रदर्शन बेहद खराब रहा है। साल 2020 विधानसभा चुनाव में 75 सीटें जीतने वाली आरजेडी 2025 में 25 सीट पर सिमट गई। साल 2010 के बाद यह पार्टी का सबसे खराब प्रदर्शन है। 2010 विधानसभा चुनाव में राजद 22 सीटों पर सिमट कर रह गई थी। वहीं तेजस्वी यादव की बात करें तो इस साल भी उन्होनें राघोपुर सीट से ही चुनाव लड़ा था और जीत हासिल की है। उन्होनें भाजपा के सतीश कुमार को लगभग 4532 वोटों के अंतर से हराया। तेजस्वी को कुल 118597 वोट मिले। जबकि सतीश कुमार को 104065 वोट मिले।










